Karnataka Election Exit Polls: देश की राजनीति में जाति हमेशा से ही महत्वूर्ण रही है. कर्नाटक भी इससे अछूता नहीं है. राज्य के विधानसभा चुनाव में प्रमुख पार्टियों के पास कम से कम एक समुदाय या फिर जाति का साथ मिलता रहा है. बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के पास किसी न किसी जाति या समुदाय का बैकअप है. इस बार के चुनाव में किस समुदाय ने किस पार्टी पर विश्वास दिखाया है, ये जानने की कोशिश करते हैं.


10 मई को हुए मतदान के नतीजे शनिवार (13 मई) को सभी के सामने होंगे. उससे पहले एग्जिट पोल के जो नतीजे सामने आए हैं उसका डेटा इस्तेमाल करके इस चीज को समझने का प्रयास करते हैं. इंडिया डुटे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत की ओर इशारा करते हुए अनुमान लगाया है कि वो 122 से 140 सीटें जीत सकती है. वहीं, बीजेपी को बड़ा सेटबैक दिखाते हुए 62 से 80 सीटों पर रोक दिया है.


किस जाति का किस पार्टी को समर्थन?


राज्य की सत्ता में आसीन बीजेपी को लिंगायत समुदाय का भरपूर समर्थन मिलता रहा है. कोस्टल कर्नाटक और ओल्ड मैसुरु को छोड़कर ये समुदाय पूरे राज्य में है. उत्तरी कर्नाटक में इसकी भरमार है. साल 2018 के चुनाव में 64 प्रतिशत लिंगायत समुदाय ने बीजेपी के लिए वोट किया था. क्या इस बार भी इस समुदाय ने बीजेपी पर भरोसा किया है? तो एक्सिस माय इंडिया का एग्जिट पोल कहता है कि ये समुदाय इस बार भी बीजेपी के साथ है.


वहीं, एसटी समुदाय की अगर बात करें तो 44 प्रतिशत कांग्रेस, 33 प्रतिशत बीजेपी और 14 प्रतिशत जेडीएस के साथ गया है. एससी कैटगरी के लोगों ने 60 प्रतिशत कांग्रेस, 22 प्रतिशत बीजेपी और 14 प्रतिशत जेडीएस पर भरोसा किया है. कुरुबा समुदाय ने 63 प्रतिशत कांग्रेस, 22 प्रतिशत बीजेपी और 10 प्रतिशत जेडीएस का साथ दिया है.


इसी एग्जिट पोल में मुसलमानों ने 88 प्रतिशत कांग्रेस, 2 प्रतिशत बीजेपी और 8 प्रतिशत जेडीएस पर भरोसा किया है. वोक्कालिगा ने सबसे ज्यादा 46 प्रतिशत जेडीएस, उसके बाद 25 प्रतिशत बीजेपी और 24 प्रतिशत कांग्रेस के लिए वोट किया. इसके अलावा ओबीसी समाज के लोगों ने 45 प्रतिशत बीजेपी, 31 प्रतिशत कांग्रेस और 15 प्रतिशत जेडीएस पर भरोसा जताया है. अब बात करते हैं लिंगायत समुदाय की जिसने एक बार फिर 64 प्रतिशत बीजेपी, 20 प्रतिशत कांग्रेस और 40 प्रतिशत जेडीएस पार्टी के लिए वोट किया है.


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