Karnataka Drought: 'सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा तो टूटी केंद्र की नींद', कर्नाटक को सूखा राहत कोष मिलने पर बोले CM सिद्धारमैया
Karnataka CM: कर्नाटक के CM सिद्धारमैया ने घोषणा की है कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद केंद्र ने राज्य को 3,498.82 करोड़ रुपये का सूखा राहत कोष जारी किया है. CM ने इस राशि को अपर्याप्त बताया है.
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Karnataka CM Siddaramiah: सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने सूखे की स्थिति से निपटने के लिए कर्नाटक को सूखा राहत कोष जारी करने पर सहमति जताई है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार (27 अप्रैल) को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आपदा राहत के लिए फंड जारी करने पर सहमति जताई है. राज्य को सूखा राहत के लिए 3,498.82 करोड़ रुपये मिलेंगे. हालांकि इस राशि को उन्होने जरूरत से बहुत कम बताया है.
क्या कहना है कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया का?
इस बारे में जानकारी देते हए कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने एक्स पर लिखा, "यह शायद भारत के इतिहास में पहली बार है कि किसी राज्य को अपने अधिकारों को लागू करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा." गृह मंत्रालय (एमएचए) पर निशाना साधते हुए सीएम ने कहा, "आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की घंटी बजने के बाद गृह मंत्री की नींद खुली."
हालांकि, सिद्धारमैया ने कहा कि ये फंड भी पर्याप्त नहीं है. उन्होंने दावा किया कि राज्य ने 18,000 करोड़ रुपये मांगे थे, और केवल 3498.98 करोड़ मिले है. यह बेहद कम है.
कर्नाटक में 30-40 सालों में सुखे की सबसे विकट स्थिति
बता दें कि कर्नाटक में सूखे के कारण 48,000 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट हो गई है. मार्च में कर्नाटक सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) जारी करने की मांग करते हुए केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की थी. राज्य में पिछले कुछ महीने से सूखे की विकट स्थिति बनी हुई है.
कर्नाटक ने 240 तालुकों में से 223 में सूखे की घोषणा की है, जिनमें से 196 को पिछले कुछ महीनों में गंभीर रूप से प्रभावित के रूप में शामिल किया गया है. सरकार के अनुसार, यह पिछले 30-40 वर्षों में सबसे गंभीर स्थिति है. ऐसे समय में नियमानुसार राज्यों को केंद्र सरकार से राहत फंड दी जाती है लेकिन कर्नाटक सरकार का आरोप है कि बार बार आवेदन के बावजूद केंद्र सरकार ने इसमें कोई मदद नहीं की थी जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा.
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