Karnataka Government Formation: शिवकुमार को किया राजी, CM फाइनल, 72 घंटे में कांग्रेस ने कैसे तोड़ा कर्नाटक का डेडलॉक, पढ़ें कब-क्या हुआ
Karnataka Chief Minister: कांग्रेस ने कर्नाटक के अगले सीएम के नाम का ऐलान कर दिया है लेकिन ये चयन इतना आसान नहीं रहा. इसके लिए 72 घंटे तक कांग्रेस को मशक्कत करनी पड़ी.
Karnataka Government Formation: कर्नाटक में शानदार जीत के बाद अब मुख्यमंत्री के शपथ की भव्य तैयारियां शुरू हो गई हैं. सीएम के लिए कांग्रेस ने सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगाई है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम का पद सौंपा गया है लेकिन कांग्रेस के लिए ये चुनाव आसान नहीं रहा. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच कड़े मुकाबले ने कांग्रेस के लिए दुविधा की स्थिति पैदा कर दी थी. इसके लिए बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक 3 दिनों मैराथन बैठकों का दौर चला और आखिरकार इस गुत्थी को सुलझाने के लिए गांधी परिवार को भी मैदान में उतरना पड़ा.
आइए देखते हैं 72 घंटे में क्या-क्या हुआ और आखिरकार कांग्रेस ने कैसे फैसला किया
रविवार 14 मई
13 मई को चुनाव नतीजे घोषित हुए जिसमें कांग्रेस ने 135 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया. अगले दिन रविवार (14) मई की शाम को नेता चुनने के लिए कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक हुई. यहां पर एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को सौंप दिया गया.
सोमवार 15 मई (सुबह)
कांग्रेस की तरफ से नियुक्त किए गए तीनों पर्यवेक्षकों ने अगले मुख्यमंत्री को लेकर विधायकों की राय जानी. इसके लिए विधायकों से गुप्त मतदान भी कराया गया. इस रिपोर्ट को लेकर तीनों पर्यवेक्षक सुबह करीब 10 बजे दिल्ली के लिए रवाना हुए और वहां कांग्रेस अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपी. मल्लिकार्जुन खरगे ने रिपोर्ट को लेकर पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला से सोमवार देर रात चर्चा की.
सोमवार दोपहर
खबर आई कि डीके शिवकुमार ने अपनी प्रस्तावित दिल्ली की यात्रा रद्द कर दी है. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश से दिल्ली में मुलाकात की और कर्नाटक के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को दिल्ली आने का संदेश दिया. इस बीच सिद्धारमैया दिल्ली पहुंचे.
मंगलवार दोपहर
सोमवार से लगातार कांग्रेस अध्यक्ष के आवास पर बैठकों का दौर जारी रहा. इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने खरगे से मिले. इस बैठक में केसी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने बिना नाम लिए मुख्यमंत्री के चयन में विधायकों के समर्थन की पार्टी की प्रथा का उल्लेख किया.
मंगलवार शाम
16 मई की शाम को कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के आवास पर बारी-बारी से डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया मिलने पहुंचे. हालांकि, कांग्रेस ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया और सीएम की दावेदारी पर चुप्पी साधे रखी. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष ने दोनों नेताओं से उनकी राय जानी.
मंगलवार देर रात तक ये तय हो गया था कि सिद्धारमैया ही कर्नाटक के अगले सीएम होंगे लेकिन डीके शिवकुमार के चलते घोषणा अटकी हुई थी. पार्टी ने डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद ऑफर किया लेकिन वह इसे लेने को तैयार नहीं थे.
बुधवार दोपहर
17 मई को सीएम पद के दोनों दावेदार सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार अलग-अलग कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने 10 जनपथ पहुंचे. यहां राहुल गांधी ने दोनों से कहा कि पार्टी अध्यक्ष का जो भी फैसला हो उसे मानने और पार्टी के हित में काम करने को कहा.
बुधवार 2 बजे
डीके शिवकुमार को खरगे के आवास पर मिलने के लिए बुलाया गया. इसी बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने डीके को फैसले के बारे में जानकारी दी कि सिद्धारमैया विधायक दल के नेता होंगे क्योंकि उनके पास सबसे ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है. डीके ने फैसले को मानने से इनकार कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि राज्य में पार्टी की जीत में उनका कितना योगदान है.
बुधवार शाम 7 बजे
डीके के अड़ जाने के चलते कांग्रेस सीएम के नाम का ऐलान नहीं कर पा रही थी. ऐसी स्थिति में खरगे ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से बुधवार शाम से फोन पर बात की. इस फोन काल के बाद पार्टी नेतृत्व ने फैसला किया वह मुख्यमंत्री के लिए विधायकों की राय के साथ जाएगी, जो कि सिद्धारमैया के साथ थी.
बुधवार शाम 8 बजे
खरगे ने वेणुगोपाल और सुरजेवाला के साथ बैठक की. इस बैठक में डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम की पोस्ट के साथ ही उनकी पसंद के मंत्रालय देने का ऑफर दिया गया.
बुधवार देर रात
इसके बाद श्री वेणुगोपाल ने श्री सिद्धारमैया और श्री शिवकुमार से उनके घर पर अलग-अलग मुलाकात की और पार्टी अध्यक्ष के फैसले से अवगत कराया. उन्हें बताया कि डिप्टी सीएम का केवल एक पद ही रहेगा. अभी भी डीके शिवकुमार तैयार नहीं रहे थे. सूत्रों के मुताबिक, देर रात सोनिया गांधी ने डीके से बात की जिसके बाद डीके शिवकुमार मान गए.
सहमति बनने के बाद सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को लेकर वेणुगोपाल और सुरजेवाला आधी रात को खरगे के घर पहुंचे और फैसले पर मुहर लग गई.
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