Karnataka Government Formation: डीके शिवकुमार कब तक सीएम बनने के सपने को दबाकर काम करते रहेंगे?
DK Shivakumar: डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाए जाने के फैसले पर उनके भाई और सांसद डीके सुरेश ने नाराजगी जताई है. डीके सुरेश ने कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर इस फैसले से खुश नहीं हूं.
Karnataka Government Formation: कर्नाटक में 'मुख्यमंत्री कौन बनेगा' के सवाल पर 72 घंटों तक चले मंथन के बाद सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लग गई. इसी के साथ डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम के पद के साथ बड़े पोर्टफोलियो देकर उनके बगावती तेवरों को भी शांत करने की कोशिश की गई है.
इससे पहले कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार सीएम बनने की मांग पर अड़ गए थे. सूत्रों के मुताबिक, इस मामले पर शिवकुमार से जब सोनिया गांधी ने बात की तो उन्होंने फैसला को मान लिया. हालांकि, अब अहम सवाल ये है कि डीके शिवकुमार कब तक सीएम बनने को दबाकर काम करते रहेंगे?
ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर क्या बोले सिद्धारमैया?
भले ही कर्नाटक के सीएम पद के लिए सिद्धारमैया के नाम का एलान हो चुका है, लेकिन सियासी गलियारों में लगातार ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर चर्चा तेज है. इस बारे में जब कर्नाटक के नवनियुक्त सीएम सिद्धारमैया से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझसे ऐसा कुछ नहीं कहा गया है.
दिल्ली में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सिद्धारमैया को सीएम और डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाने का एलान किया. इसके तुरंत बाद ही कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारियां शुरू हो गईं. सिद्धारमैया और शिवकुमार ने कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया.
फैसले से खुश नहीं हैं डीके के भाई
डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाए जाने के फैसले पर उनके भाई और सांसद डीके सुरेश ने नाराजगी जताई है. डीके सुरेश ने कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर इस फैसले से खुश नहीं हूं. कर्नाटक चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान हमने राज्य के हित के लिए मिलकर काम करने जो वादे किए थे.
उन्होंने कहा कि ढाई-ढाई साल के सीएम के फॉर्मूले की बात की जा रही है, मुझे नहीं पता की उसका भविष्य क्या होगा. उन्होंने कहा कि शिवकुमार तो शिवकुमार है. इंतजार करिए और देखिए. वैसे, इन तमाम चर्चाओं के बीच कांग्रेस की ओर से संदेश देने की कोशिश की गई है कि कर्नाटक में अब सब कुछ ठीक है.
हालांकि, जिस तरह से डीके शिवकुमार को मनाने के लिए सोनिया गांधी को मैदान में उतरना पड़ा. उससे इतना तो कहा ही जा सकता है कि कर्नाटक में सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच की रार फिलहाल के लिए शांत हो गई है, लेकिन भविष्य में क्या होगा, इसका फैसला समय की गर्त में छिपा हुआ है.
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