देश में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को वापस भेजने की मांग का कर्नाटक सरकार ने विरोध किया है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर इस मसले पर दाखिल याचिका को खारिज करने की मांग की है. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि फिलहाल बंगलुरु में रह रहे रोहिंग्या लोगों को वापस भेजने की कोई योजना नहीं है.


बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. याचिका में मांग की गई थी कि भारत में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या लोगों की पहचान की जाए और उन्हें 1 साल के भीतर वापस भेजा जाए. केंद्र और अधिकतर राज्य सरकार अभी तक इस याचिका पर जवाब नहीं दिया है. अब कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि याचिका कानूनी और तथ्यात्मक, दोनों आधारों पर गलत है. इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.


फिलहाल उन्हें वापस भेजने की कोई योजना नहीं है- सरकार


कर्नाटक सरकार की तरफ से यह हलफनामा डीजीपी कार्यालय में तैनात एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ने दाखिल किया है. इसमें यह कहा गया है कि बंगलुरु पुलिस ने शहर में रह रहे हैं 72 रोहिंग्या लोगों की पहचान की है. पुलिस ने उन्हें न तो किसी कैंप या आश्रय स्थल में रखा है, न ही किसी डिटेंशन सेंटर में. यह सभी लोग अलग-अलग तरह के कामों में लगे हुए हैं. फिलहाल उन्हें वापस भेजने की कोई योजना नहीं है.


अश्विनी उपाध्याय की याचिका में देश में अवैध तरीके से प्रवेश को लेकर बने कानूनों को और सख्त किए जाने की मांग भी की गई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत में अवैध तरीके से आने वाले लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज बनाने को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध घोषित किया जाना चाहिए.


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