बेंगलुरू: कर्नाटक में 18 जुलाई को विधानसभा में विश्वासमत से पहले बुधवार को कांग्रेस-जेडीएस सरकार का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है. कर्नाटक की राजनीति में बीते दो हफ्ते से जारी उठापटक के बीच आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तस्वीर साफ होती दिख रही है. कोर्ट ने बागी विधायकों को पार्टी व्हिप के मानने की बाध्यता से छूट दे दी है. कोर्ट ने साफ किया है कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला विधानसभा के स्पीकर लेंगे. कोर्ट के इस फैसले का सीधा मतलब ये हुआ कि कांग्रेस और जेडीएस के बागी 15 विधायक के इस्तीफों पर जब तक स्पीकर फैसला नहीं लेते हैं, तब तक विधानसभा की कार्यवाही में उनका हाजिर रहना जरूरी नहीं है. ऐसी स्थिति में अगर स्पीकर विश्वासमत के दिन यानि कल तक फैसला नहीं लेते हैं तो कांग्रेस और जेडीएस के विधायक पार्टी व्हिप के बावजूद विधानसभा से गैर हाजिर रह सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा राजनीतिक समीकरण के मुताबिक कुमारस्वामी की सरकार का जाना तय माना जा रहा है.


कोर्ट के फैसले को राजनीतिक हलकों में बागी विधायकों के लिए राहत माना गया क्योंकि इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि उन्हें एक विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहते हैं या उससे दूर रहना चाहते हैं.


विधानसभा जाने का कोई सवाल नहीं है- बागी विधायक
सत्ताधारी गठबंधन ने दलबदल निरोधक कानून के तहत अयोग्य घोषित करने के प्रावधान का उल्लेख करते हुए बागी विधायकों के खिलाफ व्हिप जारी करने की चेतावनी दी थी कोर्ट के आदेश के बाद मुम्बई में बागी कांग्रेस-जेडीएस विधायकों ने कहा कि उनके इस्तीफे या सत्र में हिस्सा लेने को लेकर उनके पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता. कांग्रेस के बागी विधायक बी सी पाटिल ने मीडिया को जारी एक वीडियो में कहा, ''हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से खुश हैं, हम उसका सम्मान करते हैं.'' इससे सत्ताधारी गठबंधन की उन्हें वापस अपने पाले में लाने की उम्मीदें और कम हो गई. पाटिल के साथ कांग्रेस-जेडीएस के 11 अन्य विधायक भी थे जिन्होंने इस्तीफ दिया है. पाटिल ने कहा, ''हम सभी साथ हैं और हमने जो भी निर्णय किया है...किसी भी कीमत पर (इस्तीफों पर) पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता. हम अपने निर्णय पर कायम हैं. विधानसभा जाने का कोई सवाल नहीं है.''


चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष को भी यह स्वतंत्रता दी कि वह उस समयसीमा के भीतर 15 विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करें, जिसे वह उचित मानते हैं. शीर्ष अदालत ने फैसला विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली बागी विधायकों की याचिका पर सुनवायी करते हुए दिया. कर्नाटक के विधानसभाध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने अपने गृह नगर कोलार में बागी विधायकों के इस्तीफों पर निर्णय की उन्हें स्वतंत्रता देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि वह संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप जिम्मेदार तरीके से कार्य करेंगे. विधानसभाध्यक्ष ने हालांकि उस समयसीमा के बारे में कोई संकेत नहीं दिया जिसमें वह इस्तीफों पर फैसला करेंगे.


विधानसभा में विपक्षी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं
कांग्रेस के 13 और जेडीएस के तीन विधायकों सहित कुल 16 विधायकों ने इस्तीफा दिया है. वहीं, दो निर्दलीय विधायकों- आर शंकर और एच नागेश ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. इस बीच कांग्रेस ने 13 विधायकों को अयोग्य ठहराने पर जोर दिया है जिसमें निर्दलीय आर शंकर शामिल हैं जिन्होंने अपनी केपीजेपी का उसके साथ विलय कर लिया था. कांग्रेस के अन्य विधायकों में प्रताप गौड़ा पाटिल, बी सी पाटिल, शिवराम हेबार, एस टी सोमशेखर, बी बसावराज, आनंद सिंह, रोशन बेग, मुनीरत्ना, के सुधाकर और एमटीबी नागराज शामिल हैं. अयोग्य ठहराने की अर्जी रमेश जरकीहोली और महेश कुमातली के खिलाफ दी गई है. सदन में सत्ताधारी गठबंधन का संख्याबल 117 हैं..जिसमें कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37, बसपा का एक और एक नामित सदस्य हैं. इसके अलावा विधानसभाध्यक्ष हैं. दो निर्दलीयों के समर्थन से 225 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.


मैं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता हूं- येदियुरप्पा
यदि 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन का संख्याबल कम होकर 101 हो जाएगा. इससे 13 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ जाएगी. कांग्रेस नेता और मंत्री डी के शिवकुमार ने कहा कि पार्टी सदन में पार्टी के सभी विधायकों की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी कर सकती है और कोई भी उल्लंघन होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. उन्होंने बीजेपी के कुछ नेताओं पर इस बारे में गुमराह करने का आरोप लगाया कि व्हिप वैध नहीं है. कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा फैसले से खुश हैं. उन्होंने कहा कि यह बागी विधायकों के लिए एक नैतिक जीत है. उन्होंने कहा, ''मैं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता हूं. यह संविधान और लोकतंत्र की एक जीत है. यह बागी विधायकों की नैतिक जीत है.''


वहीं कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के ओदश को एक खराब फैसला बताते हुए कहा कि यह दलबदलू विधायकों को संरक्षण प्रदान करने वाला और खरीद फरोख्त को बढ़ावा देने वाला प्रतीत होता है. विधानसभाध्यक्ष के साथ मुलाकात के बाद वरिष्ठ मंत्री कृष्णा बाइरेगौड़ा ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि सत्र में शामिल होना या नहीं होना विधायकों पर है, यद्यपि विधानसभा के नियम कहते हैं कि विधायकों को अपनी अनुपस्थिति के लिए अनुमति लेनी होगा. उन्होंने कहा, ''हमने विधानसभाध्यक्ष से पूछा है कि क्या यह छूट दी गई है.''


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