MUDA Land Scam Case: कर्नाटक में मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) केस में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलेगा. जिसके लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. वह जमीन के मामले में फंसे हुए हैं. इस बीच सीएम सिद्धरमैया ने शनिवार (17 अगस्त) को राज्यपाल थावरचंद गहलोत पर हमला बोला और उन पर केंद्र सरकार की ‘‘कठपुतली’’ के रूप में काम करने का आरोप लगाया.  


न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि राज्यपाल थावरचंद गहलोत का फैसला संविधान विरोधी और कानून के खिलाफ है. इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि मैंने ऐसा कोई गलत काम नहीं किया है कि मुझे इस्तीफा देना पड़े. सीएम ने कहा कि बीजेपी, जेडीएस और अन्य लोगों ने लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार को हटाने की साजिश रची है.


राज्यपाल ने CM के खिलाफ मुकदमा चलाने की दी मंजूरी


कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन ‘घोटाले’ में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. वहीं, ये फैसला टी जे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा की ओर से दायर तीन अर्जी पर आधारित है.






क्या है MUDA केस?


मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी. उसे डिनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया था. लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया था. यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई थी. 


MUDA केस में CM सिद्धारमैया पर क्या है आरोप?


कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर आरोप है कि उनकी पत्नी पार्वती को मैसुरू में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था. जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस भूमि की तुलना में ज्यादा था, जिसे एमयूडीए ने ‘अधिग्रहीत’ किया था. एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे. हालांकि, बीजेपी इस मामले पर कांग्रेस सरकार पर हमलवार है. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगते हुए बेंगलुरु से लेकर मैसूरु तक पैदल यात्रा भी निकाली थी.


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