कर्नाटक: सिद्धारमैया का बड़ा दांव, लिंगायत को अलग धर्म बनाने के सुझाव को मंजूरी देकर केंद्र के पाले में डाली गेंद
बता दें कि कर्नाटक में 18 फीसदी आबादी लिंगायत समुदाय की है. इसके साथ ही पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की अच्छी ख़ासी आबादी है.
नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक की राजनीति में नया मोड़ आया है. सत्तारूढ़ सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायत कार्ड खेला है. सिद्धारमैया सरकार ने जस्टिस नागमोहन दास की रिपोर्ट को मंजूरी देते हुए लिंगायत धर्म बनाने की सिफारिश की है. कर्नाटक सरकार इसके लेकर केंद्र को चिट्ठी लिखेगी.
कर्नाटक सरकार में मंत्री ने बी पाटिल ने कहा, ''कर्नाटक सरकार ने लिंगायत को अलग धर्म बनाने के लिए जस्टिस नागमोहन दास की रिपोर्ट को मंजूर कर लिया है. लिंगायत बासवेश्वरा की विचारधारा को माने वाले हैं. हम भारत सरकार को इस बारे में लिखेंगे."
कर्नाटक में लिंगायत का बड़ा असर राज्य में लिंगायत समुदाय की आबादी करीब 17 फीसदी है. राज्य की 56 विधानसभा सीटों पर लिंगायत का असर माना जाता है. इसके साथ ही पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की अच्छी ख़ासी आबादी है. कर्नाटक में लिंगायत को बीजेपी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है. बीजेपी के सीएम कैंडिडेट येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय के हैं. 2008 में बीजेपी की जीत में लिगायत समुदाय का बड़ा योगदान था. लिंगायत वोट के दम पर ही दक्षिण भारत में बीजेपी की पहली सरकार बनी.जानकारों के मुताबिक अब कांग्रेस ने लिंगायत कार्ड खेलकर बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है. बीजेपी को ये डर सता रहा होगा. कि कहीं लिंगायत वोटर कांग्रेस के पाले में ना चले जाएं. कांग्रेस भी दम ठोंककर इसका क्रेडिट लेने के मूड में दिख रही है.