बैंगलुरू: कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें कोर्ट ने महिला के माता-पिता को पहले बच्चे के जन्म का खर्चा उठाने को कहा था. राजधानी बैंगलुरू की एक फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया था कि पहले बच्चे के जन्म का खर्च लड़की (बच्चे की मां) के माता-पिता वहन करें. अब कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट को उसके इस आदेश पर फिर से विचार करने को कहा है.


हाई कोर्ट ने दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाला


कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा है कि फैमिली कोर्ट के जज को ऐसे मामलों पर फैसला करने के लिए अपने व्यक्तिगत ज्ञान का उपयोग नहीं करना चाहिए. हाई कोर्ट के जस्टिस आलोक अराधे ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आदेशों में तर्क होना चाहिए. फैमिली कोर्ट ने बिना कारण जाने आदेश दे दिया, जो कानून की दृष्टि से ठीक नहीं है.


हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट से दोबारा विचार करने को कहा


हाई कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता की तरफ से दायर आवेदन को खारिज करने के लिए कोई कारण नहीं बताया और निष्कर्ष दे दिया. हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट से तीन हफ्तों के अंदर दोबारा इस मामले पर विचार करने को कहा है. शाइस्ता ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.


क्या है पूरा मामला?


बता दें कि शाइस्ता सुल्ताना नाम की महिला ने अपने पहले बच्चे के प्रसव और चिकित्सा पर होने वाले खर्च के लिए फैमिली कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में महिला ने अलग हो चुके पति से डेढ़ लाख रुपए की मांग की थी. जिसके बाद फैमिली कोर्ट ने महिला की मांग खारिज करते हुए कहा कि सभी समुदायों में प्रचलित रीति-रिवाजों के मुताबिक पहले बच्चे का खर्च उठाना उसके माता-पिता का कर्तव्य है.


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