कैब में ड्राइवर ने किया यौन उत्पीड़न, कंपनी ने कार्रवाई से किया इनकार, अब हाई कोर्ट ने लगा दिया 5 लाख का जुर्माना
Fined on OLA: 2019 में एक यात्रा के दौरान ओला कैब के ड्राइवर ने याचिका दायर करने वाली महिला का यौन उत्पीड़न किया था, इस मामले में शिकायत करने पर ओला ने असमर्थता जताते हुए कार्रवाई से इनकार किया था.
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Five Lakh Rupees Penalty on Ola: कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर 2024) को ओला कैब्स की मूल कंपनी एएनआई टेक्नॉलजीज को एक महिला को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. दरअसल, 2019 में एक यात्रा के दौरान उनके एक ड्राइवर ने कथित तौर पर उनका यौन उत्पीड़न किया था.
सिंगल जज बेंच की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति एमजीएस कमल ने ओला की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (पीओएसएच अधिनियम) के अनुरूप उचित जांच शुरू करने का भी निर्देश दिया. जांच 90 दिनों के अंदर पूरी करनी होगी और रिपोर्ट की एक कॉपी डीएम के पास जमा करानी होगी. इसके अतिरिक्त, एएनआई टेक्नोलॉजीज को याचिकाकर्ता के मुकदमेबाजी खर्च को कवर करने के लिए 50,000 रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया गया है.
20 अगस्त को सुरक्षित रख लिया था आदेश
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि सभी पक्षों को पीओएसएच अधिनियम की धारा 16 का पालन करना चाहिए, जिससे शामिल पहचान की गोपनीयता सुनिश्चित हो सके. इससे पहले न्यायालय ने 20 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
महिला ने याचिका में की ये मांग
याचिकाकर्ता, जिसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था, ने शुरू में अपनी शिकायत ओला कंपनी में की थी, लेकिन कंपनी के आईसीसी ने बाहरी कानूनी सलाहकार की सलाह के बाद, यह कहते हुए जांच करने से इनकार कर दिया कि उसके पास अधिकार क्षेत्र नहीं है. इसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय से राहत मांगी, जिसमें ओला को उसकी शिकायत की जांच करने और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि कंपनी POSH दिशानिर्देशों का पालन करे. उसने राज्य से टैक्सी सेवाओं का उपयोग करने वाली महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षात्मक नियम लागू करने का भी आग्रह किया.
90 दिनों में देनही होगी कार्रवाई की जानकारी
न्यायालय ने कर्नाटक राज्य सड़क सुरक्षा प्राधिकरण को ANI टेक्नॉलजीज को जारी किए गए नोटिस के संबंध में अपनी कार्रवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया है, जिसे पूरा करने के लिए 90 दिनों की समय सीमा तय की गई है. याचिका पर पर्याप्त रूप से जवाब न देने के लिए राज्य सरकार को एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है.
ओला ने कोर्ट में दिया ये तर्क
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि ओला एक परिवहन कंपनी के रूप में कार्य करती है, न कि केवल एक प्लेटफॉर्म के रूप में, और उसे अपने ड्राइवरों के कार्यों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए. हालांकि, ओला के वकील ने तर्क दिया कि ड्राइवर स्वतंत्र ठेकेदार हैं, कर्मचारी नहीं, और कंपनी को श्रम कानूनों के तहत उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिए.
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