Karnataka High Court: आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक शख्स को हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने पैरोल देने का फैसला किया है. दरअसल, हाई कोर्ट ने ये फैसला सजा काट रहे 28 वर्ष के दोषी शख्स की पत्नी की याचिका पर दिया है. जिसने बच्चा पैदा करना की इच्छा जताते हुए हाई कोर्ट में पैरोल की याचिका दायर की थी.
वहीं, इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के जस्टिस एस.आर. कृष्ण कुमार कर रहे थे. गौरतलब है कि साल, 2019 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी युवक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इस मामले में याचिकाकर्ता पत्नी की ओर से हाई कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता गौतम वी. और कार्तिक जी. ने अपने पति की संतान प्राप्ति के अधिकार और अपनी सास की स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर रिहाई की मांग की थी. हाई कोर्ट ने इस मामले में 30 दिन की पैरोल पर मुहर लगाई है.
संतान प्राप्ति की याचिका पर HC ने दी 30 दिन की पैरोल
इस दौरान केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस एस.आर. कृष्ण कुमार ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी युवक आनंद को 5 जून, 2024 से 4 जुलाई, 2024 तक 30 दिन की पैरोल देने का फैसला लिया. कोर्ट ने कई टिप्पणियां करते हुए कहा कि दोषी युवक आनंद की पत्नी सिर्फ इस आधार पर पैरोल चाहती है कि दोनों की शादी पहली पैरोल के दौरान को हुई थी और वह बच्चे के अधिकार से वंचित है. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में मैं पति को 30 दिनों की सामान्य पैरोल देना उचित समझता हूं.
क्या है पूरा मामला?
जेल में सजा काट रहे दोषी आनंद को आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत अपराधों के लिए ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. जहां दोषी आनंद ने पहले ही अपनी सजा के 5 साल और एक महीने पूरे कर लिए हैं. वहीं, दोषी आनंद ने पिछले साल पैरोल के दौरान 5 अप्रैल, 2023 से 20 अप्रैल, 2023 तक याचिकाकर्ता पत्नी से शादी रचाई थी.
इस पर याचिकाकर्ता पत्नी ने कोर्ट में तर्क दिया कि उसे संतान प्राप्ति के अधिकार से वंचित किया जा रहा है और उनकी सास, जो कई बीमारियों से पीड़ित हैं, अपने पोते-पोतियों के साथ समय बिताना चाहती हैं.
HC ने पैरोल के लिए कई शर्ते की तय
हाई कोर्ट ने कहा कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे आनंद को पैरोल अवधि के दौरान हफ्तें में एक बार क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन में अपनी मौजूदगी दर्ज करनी होगी. इसके अलावा इलाके की पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि पैरोल अवधि के बाद आनंद जेल लौट आए. इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसे में मुख्य जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त शर्तें तय करनी होंगी कि दोषी आनंद जेल लौट आए और पैरोल अवधि के दौरान कोई अपराध न करे.
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता पैरोल की अवधि बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है, जिसे आनंद के पैरोल अवधि के दौरान किए गए आचरण के आधार पर विचार किया जाएगा.