Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण के एक फैसले को पलट दिया है. हाई कोर्ट ने रेलवे को रेल हादसे में जान गंवाने वाली महिला के परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है. साल 2014 में महिला एक गलत ट्रेन से उतरने के प्रयास में अपनी जान गंवा बैठी थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कर्नाटक हाई कोर्ट ने मृतक महिला के परिवार को आठ लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. दरअसल, जयम्मा और उनकी बहन रत्नम्मा गलती से अशोकपुरम/मैसूर जाने के लिए तिरूपति पैसेंजर ट्रेन के बजाय थुतुकुडी एक्सप्रेस में चढ़ गईं थीं. हालांकि, जैसे ही ट्रेन चलने लगी तो उन्हें जानकारी हुई कि वो गलत ट्रेन में चढ़ गई हैं. इसके बाद वे घबरा गईं और उतरने का प्रयास करने लगीं. तभी वह चलती ट्रेन से नीचें गिर गई और वह गंभीर रूप से घायल हो गईं. हालांकि, इलाज के दौरान महिला की जान चली गई थी.
रेलवे ने खारिज कर दी थी याचिका
इसके बाद जयम्मा के परिवार ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण में एक याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. रेलवे ने कहा था कि जयम्मा ने उपलब्ध विकल्प जैसे अगले स्टेशन तक ट्रेन में ही रहने या ट्रेन को आपातकालीन रूप से रोकने के लिए चेन खींचने के विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया था.
जज ने न्यायाधिकरण के फैसले पर उठाए सवाल
न्यायाधिकरण ने जयम्मा की मौत को भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 124-ए के तहत खुद को पहुंचाई गई चोट माना और मुआवजे देने से इनकार कर दिया था. हालांकि, कर्नाटक हाई कोर्ट के जज एच.पी. संदेश ने न्यायाधिकरण के फैसले पर असहमति जताई. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जयम्मा एक यात्री थीं और उनकी मृत्यु एक अप्रिय घटना के कारण हुई. जज ने धारा 124-ए पर न्यायाधिकरण की निर्भरता की आलोचना की और कहा कि इसे इस मामले में गलती से लागू किया गया था.
कोर्ट ने दिया मुआवजे का आदेश
कोर्ट ने रेलवे को पीड़िता के परिवार को सात प्रतिशत ब्याज के साथ चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि परिवार को दी जाने वाली अंतिम राशि ब्याज सहित आठ लाख रुपये से कम नहीं होनी चाहिए.
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