कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैसूर में रेप के आरोपी पर POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई बंद करने का आदेश दिया है. कोर्ट का कहना है कि आरोपी ने पीड़िता से शादी कर ली है और उनका बच्चा भी है. पीड़िता जब 18 साल की थी तो उसका यौन उत्पीड़न किया गया था. कोर्ट ने कहा कि अगर यह कार्यवाही चलती रही तो यह पीड़िता और बच्चे पर नकारात्मक असर डालेगी. 
 
जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने उनकी ओर से मैरिज सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए जाने के बाद आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द का करने का आदेश दिया. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने इस बात पर जोर दिया कि अगर आरोपी केस बंद होने के बाद पीड़िता और उसके बच्चे को छोड़ देता है तो यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) मामले के तहत फिर से कार्रवाई शुरू की जा सकती है. कोर्ट ने पहले 17 जून को आरोपी को पीड़िता से शादी करने के लिए अंतरिम जमानत दी थी और 21 जून को दोनों ने शादी कर ली. 


कोर्ट में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने के लिए याचिका दाखिल की गई थी. याचिकाकर्ता का दावा है कि वह हमेशा से पीड़िता से प्यार करता था. लड़की के घरवालों ने इसलिए उस पर केस कर दिया क्योंकि लड़की की उम्र शादी लायक नहीं थी. उसने कोर्ट को बताया कि बाद में लड़की के माता-पिता ने शादी की इजाजत दे दी. वहीं, राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मामले में POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. सरकार ने यह भी कहा कि यह एक जघन्य अपराध है, जिसके लिए 10 साल या आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है. 


हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर बच्चा पैदा हो जाता है और आरोपी पीड़िता से शादी कर लेता है तो POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई रद्द कर दी जाए. 


यह मामला दो फरवरी 2023 का है. पीड़िता स्कूल जा रही थी, तब आरोपी ने सुनसान जगह ले जाकर उसका यौन उत्पीड़न किया. बाद में लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया. आरोपी की पीड़िता से विवाह करने की इच्छा को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही बंद करने का अनुरोध किया गया था.


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