Karnataka High Court: कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी के एक मामले में स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ देशद्रोह का केस रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि पीएम के खिलाफ कहे गए शब्द अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना थे, लेकिन यह देशद्रोह नहीं है. हाई जस्टिस हेमंत चंदनगौदर ने बीदर के शाहीन स्कूल मैनेजमेंट के अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल इनामदार और मोहम्मद महताब के खिलाफ न्यू टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया.


जस्टिस हेमंत चंदनगौदर ने फैसले की सुनवाई करते हुए कहा- नाटक के दौरान दिए गए बयान कि प्रधानमंत्री को जूते से मारा जाना चाहिए, यह न केवल अपमानजनक था, बल्कि गैर-जिम्मेदाराना भी था. उस स्थिति में आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह से संबंधित) लागू की जा सकती है जब किसी शख्स के शब्दों या अभिव्यक्ति में सार्वजनिक अव्यवस्था, कानून और व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा करने की हानिकारक प्रवृत्ति या इरादा हो.


कर्नाटक हाईकोर्ट का कहना है कि नागरिक को सरकार और उसके पदाधिकारियों की तरफ से उठाए गए कदमों की आलोचना या टिप्पणी करने का अधिकार है, लेकिन वो सरकार के खिलाफ या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के इरादे से लोगों को हिंसा के लिए उकसाता नहीं हो. 


क्या है पूरा मामला


दरअसल, कर्नाटक में बीदर जिले के शाहीन स्कूल में साल 2020 में सीएए और एनआरसी को लेकर बच्चों ने नाटक किया था. इसके बाद आरोप लगा कि स्कूल देश के खिलाफ काम करके नकारात्मक बातें फैला रहा है. वहीं इस दावे को शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन ने खारिज करते हुए कहा था कि पुलिस हर रोज स्कूल आती थी और बच्चों के साथ देशद्रोही की तरह व्यवहार करती है.


साथ ही यह आरोप भी लगाया गया था कि सीएए कानून के खिलाफ कक्षा 4 के छात्रों के मंच पर किए गया नाटक सांप्रदायिक प्रकृति का था. इसमें दावा किया गया था कि मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगे थे. इसको लेकर निलेश राकेश्याला ने बीदर के पुलिस स्टेशन में आईपीसी के सेक्शन 504, 505 (2), 124 (ए) और 153 (ए) के तहत केस दर्ज कराया था


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