(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rape On Woman Dead Body: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- 'महिला के शव पर यौन हमले के मामले में नहीं बनता है रेप का मामला'
Rape On Woman Dead Body: कर्नाटक हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 46 के मद्देनजर कहा कि बलात्कार किसी शख्स के साथ ही होना चाहिए, किसी शव के साथ नहीं. ये किसी की इच्छा के विरुद्ध होना जरूरी है.
Rape On Woman Dead Body: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान माना कि महिला के शव पर यौन हमले को आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार का अपराध नहीं होगा. इस फैसले के बाद 21 साल की एक लड़की की हत्या के बाद उसके शव के साथ रेप करने वाले शख्स के ऊपर से बलात्कार के आरोप हटा दिए गए.
कर्नाटक हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दोषी रंगराजू की ओर से दाखिल की गई याचिका पर ये फैसला दिया. हालांकि, हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में ट्रायल कोर्ट से दोषी करार होने पर रंगराजू को मिले आजीवन कारावास के फैसले को बरकरार रखा है.
नहीं कहा जा सकता रेप का मामला- हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 और 377 को सावधानी के साथ पढ़ने के बाद साफ है कि शव को इंसान या शख्स नहीं कहा जा सकता है. इसके चलते आईपीसी की धारा 375 और 377 मामले में नहीं लगेंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि ये मामला दोषी की ओर से हत्या के बाद शव के साथ रेप करने से जुड़ा है.
डिवीजन बेंच की ओर से कहा गया कि इसके चलते आईपीसी की धारा 375 और 377 के तहत अपराध इस पर लागू नहीं होंगे. ये नेक्रोफीलिया का मामला है और आईपीसी 376 के तहत सजा नहीं दी जा सकती है. हालांकि, इसी के साथ कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार से इस कानून में बदलाव कर ऐसे मामलों में सजा दिए जाने की सिफारिश की.
क्या था मामला?
25 जून 2015 को आरोपी ने 21 साल की लड़की की गला काटकर हत्या कर दी थी और फिर कथित तौर पर उसके साथ बलात्कार किया था. पुलिस ने जांच के दौरान आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था और बाद में उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.
ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषी करार दिया था. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में दोषी ने कहा था कि नेक्रोफीलिया के मामले में आईपीसी में कोई धारा नहीं है.
अभियोजन पक्ष ने दी थी क्या दलील?
अभियोजन पक्ष की ओर पेश वकील ने इस याचिका विरोध किया और कहा कि 1983 में संशोधित आईपीसी की धारा 375(ए) और (सी) में यौन हमलों को जोड़ा गया है. जिसके चलते शव के साथ रेप पर ये अपराध की श्रेणी में आता है.
इस मामले में एमिकस क्यूरी ने कहा कि भारतीय अपराध कानूनों में भले ही नेक्रोफीलिया कोई अपराध नहीं है, इसके बावजूद मृत व्यक्ति के मानवाधिकार होते हैं.
किन मामलों में माना जाता है रेप?
कर्नाटक हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 46 के मद्देनजर कहा कि बलात्कार किसी शख्स के साथ ही होना चाहिए, किसी शव के साथ नहीं. ये किसी की इच्छा के विरुद्ध होना जरूरी है. एक शव बलात्कार का विरोध नहीं कर सकता, नाही किसी गैरकानूनी शारीरिक चोट का.
कोर्ट ने कहा कि बलात्कार के अपराध की अनिवार्यता में व्यक्ति के प्रति आक्रोश और बलात्कार के पीड़ित की भावनाएं शामिल हैं. एक मृत शरीर में आक्रोश की कोई भावना नहीं होती है. जिसके चलते इस तरह के यौन हमले को नेक्रोफीलिया कहा जाएगा.
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