BS Yediyurappa: कर्नाटक हाई कोर्ट ने पॉक्सो (POCSO) मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने अगली सुनवाई तक येदियुरप्पा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने येदियुरप्पा को जांच में सहयोग करने के लिए कहा है. बीएस येदियुरप्पा को 17 जून को सीआईडी के सामने जांच के लिए पेश होना होगा. इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. बीएस येदियुरप्पा की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह बात कही.


कोर्ट ने गिरफ्तारी पर उठाया सवाल


बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस एस कृष्ण दीक्षित ने बीएस येदियुरप्पा की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया. कोर्ट राज्य सराकर के उस आरोप से सहमत नहीं था, जिसमें कहा गया कि येदियुरप्पा ने 11 जून को जांच अधिकारी के सामने उपस्थित होने के लिए जारी नोटिस की अनदेखी की और फिर कुछ ही घंटों में दिल्ली चले गए थे. इस पर एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने तर्क दिया कि नोटिस जारी के बाद बीएस येदियुरप्पा ने प्लेन का टिकट बुक कराया था.


वह कोई टॉम, डिक या हैरी नहीं हैं- कोर्ट


कोर्ट ने कहा कि बीएस येदियुरप्पा पूर्व मुख्यमंत्री हैं और उनके भागने की संभावना नहीं है. कोर्ट ने कहा, "वह (बीएस येदियुरप्पा) कोई टॉम, डिक या हैरी नहीं हैं. वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. क्या आपका कहना है कि वह देश छोड़कर भाग जाएंगे? वह बेंगलुरू से दिल्ली आकर क्या कर सकते हैं?" कोर्ट ने यह भी कहा कि येदियुरप्पा ने 11 जून के नोटिस का जवाब देते हुए कहा था कि वह 17 जून को जांच अधिकारी के सामने पेश होंगे.






कोर्ट ने मामले की वास्तविकता पर उठाया सवाल


कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस मामले की वास्तविकता पर भी सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से चीजें घटित हुई हैं, उससे संदेह है कि इस मामले में कुछ छिपा हुआ है. इसका उत्तर देते हुए एजी ने कहा कि कुछ भी छिपा नहीं है.


सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा, "यहां एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने पहले ईमानदारी से नोटिस का पालन किया. इसके बाद आपने एक और नोटिस जारी किया, जो आपका विशेषाधिकार है. बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि मैं 17 जून को आऊंगा. वो लिखित में ये देने किलिए तैयार हैं कि वह वापस आ रहे हैं, लेकिन फिर भी आप उन्हें गिरफ्तार करना चाहते हैं."


बीएस येदियुरप्पा की ओर से पेश हुए वकील सी.वी. नागेश ने कोर्ट के बताया कि शिकायतकर्ता, जो पीड़िता की मां है, उन्हें छोटे-छोटे मामले दायर की आदत है, जिससे बाद कोर्ट ने शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया.


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