Karnataka High Court On Prostitution Law: कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने एक फैसले में कहा है कि वेश्यावृत्ति में लिप्त पीड़ित व्यक्ति को दंड देने का कानून में कोई प्रावधान नहीं है. 29 वर्षीय महिला द्वारा दायर की गई याचिका को स्वीकार करते हुए जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि महिला को दंडित नहीं किया जा सकता.  


आरोपों के मुताबित, याचिकाकर्ता और अन्य लड़कियों को इस वैश्यावृत्ति के धंधे में आने के लिए रकम दी जा रही थी. उन्हें 10 हजार रुपये प्रति लड़की देकर उडुपी से गोवा ले जाया जा रहा था. जिस गाड़ी में महिलाओं को ले जाया जा रहा था, पुलिस ने उन्हें मौके पर पहुंच कर बचा लिया. याचिकाकर्ता ने दावा करते हुए कहा कि उसे पकड़ कर ले जाया जा रहा था, इसलिए उस पर केस न चलाया जाए. 


10 साल पुराना है मामला


मामले में सरकारी वकील ने तर्क देते हुए कहा कि ये मामला 10 साल पुराना है. याचिकाकर्ता ने अदालत आने में काफी देर कर दी, भले ही वो पीड़ित क्यों न हो. इस पर जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि आईटीपी अधिनियम की धारा 5 में कहीं भी यह नहीं लिखा हुआ है कि वेश्यावृत्ति की शिकार महिला को दंडित किया जाना चाहिए.


कौन होगा जिम्मेदार


कोर्ट ने कहा कि प्रावधान ये स्पष्ट रूप ये बताता है कि कोई भी शख्स वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से किसी महिला या लड़की को खरीदता है या खरीदने का प्रयास करता है. इस तरह के अपराध के लिए वही जिम्मेदार होगा.


ये कानून का गलत उपयोग


अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी पीड़ित पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी जाती है तो ये कानून का गलत उपयोग माना जाएगा. तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता/आरोपी एक पीड़ित है और वेश्यावृत्ति की शिकार है. जस्टिस ने कहा कि इसके आगे यदि सुनवाई जारी रखी जाती है तो ये कानून प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.


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