Karnataka Minister Letter: '3 सालों के लिए नए इंजीनियरिंग कॉलेज पर लगाएं बैन', कर्नाटक के मंत्री ने लिखी AICTE चेयरमैन को चिट्ठी
Karnataka Minister Demand: कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर ने अपने चिट्ठी में कहा है कि उद्योगों के लिए इंजीनियरों की मांग और आपूर्ति में तालमेल की कमी हो रही है.
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Karnataka Minister Letter To AICTE : कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर ने देश के टियर 2 और टियर 3 शहरों में आगामी 2 से 3 सालों के लिए नए इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स की शुरुआत पर बैन लगाने की मांग की है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने इस संबंध में तकनीकी शिक्षा के सर्वोच्च निकाय ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के चेयरमैन को पत्र लिखा है. इसके अलावा उन्होंने कई अन्य मांगे की हैं, जिनके विस्तृत कारणों के बारे में भी पत्र में जिक्र किया है.
कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री ने पत्र में लिखा कि कर्नाटक उन राज्यों में से एक है जो सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में इंजीनियरिंग और टेक्निकल क्वालिटी एजुकेशन के लिए जाना जाता है. उन्होंने दावा किया है कि अधिक संख्या में कॉलेजों की स्थापना और सीटों की संख्या बढ़ाने के बाद से उद्योगों की जरूरतें और दक्ष इंजीनियरों की आपूर्ति में तालमेल नहीं हो रहा. संकाय कर्मचारियों की कमी से लेकर कॉलेजों में सीटों की संख्या में वृद्धि तक, सुधाकर ने कई मुद्दों पर तकनीकी शिक्षा के लिए शीर्ष निकाय को अवगत कराया है.
क्या लिखा पत्र में?
मंत्री ने पत्र में कहा, "किसी विशेष पाठ्यक्रम में अधिकतम या न्यूनतम सीटों की सीमा तय करके, विशेष रूप से निजी विश्वविद्यालयों में आईटी से संबंधित पाठ्यक्रमों पर सीटों की संख्या बढ़ाने को नियंत्रित करने की जरूरत है." उन्होंने मौजूदा नियमों के सख्ती से पालन पर जोर देते हुए कहा है कि मानदंडों के उल्लंघन के लिए दंड दिया जाए ताकि विभिन्न पाठ्यक्रमों के तहत दी जाने वाली सीटों की संख्या में कोई बदलाव न हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों पर पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए जो मौजूदा ट्रेडिशनल कोर्स के पठन-पाठन में मददगार बन सकें.
'राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत'
अतिरिक्त संख्या में बढ़ रहे इंजीनियरिंग कॉलेज पर रोक लगाने के लिए उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि सीटें बढ़ाने या घटाने या उच्च शिक्षा संस्थान शुरू करने या बंद करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति को अनिवार्य बनाया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि सीटों की संख्या में भारी वृद्धि के कारण तकनीकी स्नातकों को रोजगार के अवसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि उद्योग में मांग कम है और टेक्निकल ग्रैजुएट्स की संख्या इतनी अधिक है कि आपूर्ति और मांग का मेल नहीं हो रहा.
पलायन कर रहे शिक्षक
एआईसीटीई को लिखे पत्र में सुधाकर ने तकनीकी पाठ्यक्रम संचालित करने में आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा, "चूंकि दूसरे शहरों से टियर-1 शहरों में शिक्षक पलायन कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप संकाय की कमी हो गई है, शिक्षा की गुणवत्ता खराब हो रही है, जिसका व्यापक प्रभाव पड़ रहा है."
उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो धीरे-धीरे, टियर -2 और टियर -3 शहरों या ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अच्छे निजी या सरकारी संस्थानों को अपने अस्तित्व के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. वे धीरे-धीरे बंद भी हो जाएंगे. यह अंततः ग्रामीण छात्रों को प्रभावित करेगा जो मेट्रो शहरों या टियर -1 शहरों में कॉलेजों या विश्वविद्यालयों में शामिल होने का खर्च वहन नहीं कर सकते.
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