Hijab Ban Verdict Live: कर्नाटक हिजाब विवाद पर जजों की बंटी राय, एक जज ने खारिज की याचिका
Hijab Ban Verdict Live: हिजाब मामले पर अब से कुछ देर में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. ये मामला कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में ड्रेस कोड के पालन से जुड़ा मामला है.
जस्टिस धूलिया ने कहा कि, लड़कियों की शिक्षा अहम है. वो बहुत दिक्कतों का सामना कर पढ़ने आती हैं. हाई कोर्ट को धार्मिक अनिवार्यता के सवाल पर नहीं जाना चाहिए था. इसे व्यक्तिगत पसंद के तौर पर देखना चाहिए था. उन्होंने आगे कहा कि, मेरी राय अलग है. मैं कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला रद्द करता हूं. वहीं, जस्टिस गुप्ता- मेरे विचार से इन सभी सवालों का जवाब याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध जाता है. मैं अपील खारिज कर रहा हूं.
मामले पर दो जज ने अलग-अलग फैसले दिए जिसके बाद अब हिजाब मामले पर बड़ी बेंच फैसला करेगी.
कोर्ट रूम में दोनों पक्षों के वकीलों के साथ अब जज भी पहुंच गए हैं. अब किसी भी वक्त फैसला सुनाया जाएगा.
हिजाब विवाद पर अब किसी भी वक्त फैसला सुप्रीम कोर्ट सुना सकता है. कोर्ट रूम के अंदर दोनो पक्षों के वकील पहुंच चुके हैं.
इसी साल 5 फरवरी को हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेज पहुंच रहीं छात्राओं के समर्थन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी उतरे. राहुल ने ट्वीट करते हुए कहा, हिजाब को शिक्षा के रास्ते में लाकर भारत की बेटियों का भविष्य छीना जा रहा है. राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद से मामला और बड़ गया.
हिजाब मामला अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ जब पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग शुरू की लेकिन मामला दब गया. वहीं, 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई 6 छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया. जिसके बाद कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया और मामला सुर्खियों में आया. इसी दिन मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था.
राज्य सरकार की तरफ से कहा गया था कि, साल 2021 तक सभी छात्र यूनिफार्म का पालन कर रहे थे लेकिन 2022 में हिजाब को लेकर पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने अभियान चलाया. मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर स्कूल आना शुरू किया तो जवाब में हिंदू छात्र भगवा गमछा पहन कर आने लगे. सरकार ने यूनिफॉर्म के पालन का आदेश दिया.
हिजाब का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकीलों ने बहस करते हुए कहा कि अगर हिजाब को एक धार्मिक फ़र्ज़ की तरह मानते हुए लड़कियां यूनिफॉर्म के रंग का स्कार्फ अपने सर पर रखती हैं तो इससे किसी भी दूसरे छात्र का कोई अधिकार प्रभावित नहीं होता है. इसलिए, रोक लगाने का आदेश गलत है.
हिजाब का ये मामला कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में ड्रेस कोड के पालन से जुड़ा है. हाई कोर्ट ने 15 मार्च को दिए फैसले में ड्रेस कोड के पालन के आदेश को सही ठहराया था. जिसमें साफ शब्दों में कहा गया था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 24 याचिकाएं दाखिल हुई हैं.
कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब विवाद पर अब से कुछ देर में सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला. सुबह 10.30 बजे जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच फैसला देगी.
बैकग्राउंड
Hijab Ban Verdict Live: सुप्रीम कोर्ट का आज हिजाब मामले पर सुबह 10.30 बजे फैसला सुना सकता है. जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच ये फैसला सुनाएगी. ये मामला कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में ड्रेस कोड के पालन से जुड़ा मामला है. इससे पहले मार्च महीने में हाई कोर्ट ने ड्रेस कोड के पालन के आदेश को सही ठहराया था. कोर्ट ने ये भी कहा था कि, हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है जिसके बाद इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 24 याचिकाएं दाखिल हुई हैं.
राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभूलिंग के नवाडगी और एडीशनल सॉलीसीटर जनरल के.एम. नटराज ने बहस की थी. इसमें कहा गया था कि, साल 2021 तक सभी छात्र यूनिफार्म का पालन कर रहे थी लेकिन 2022 में हिजाब को लेकर अभियान चलाया गया.
इस अभियान के तहत मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर स्कूल आना शुरू किया. जिसके जवाब में हिंदू छात्र भगवा गमछा पहन कर आने लगे. सरकार ने स्कूलों में अनुशासन कायम करने के लिए यूनिफॉर्म के पालन का आदेश दिया. सरकार ने यह भी कहा कि यूनिफार्म शिक्षण संस्थान तय करते हैं, राज्य सरकार नहीं. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है किसी भी कपड़े को पहनने पर राज्य सरकार ने रोक लगाई. सरकार सिर्फ यही चाहती है कि छात्रों के बीच एकता और सद्भावना का रहे और स्कूलों में अनुशासित माहौल में पढ़ाई हो सके.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -