Karnataka Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब पहनकर एग्जाम देने की उठी मांग, सुप्रीम कोर्ट जल्द करेगा 3 जजों की बेंच का गठन
Karnataka Hijab Case: मुस्लिम छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि संविधान में अपने धर्म के पालन का अधिकार है. वहीं, इसके विरोध में दलील दी गई थी कि हिजाब इस्लाम में जरूरी नहीं है.
Karnataka Hijab Row: कर्नाटक हिजाब विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का अंतिम फैसला नहीं आ सका है. सुप्रीम कोर्ट के दोनों ही जजों की राय इस मामले पर अलग-अलग थी. अब कोर्ट का कहना है कि जल्द ही इस मामले की सुनवाई के लिए 3 जजों की बेंच का गठन किया जाएगा. यह मामला कॉलेज परिसरों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर कर्नाटक के प्रतिबंध से जुड़ा है.
बुधवार (22 फरवरी) को एक वकील ने चीफ जस्टिस के सामने मामला रखते हुए कहा कि 9 मार्च से शुरू हो रही परीक्षा में लड़कियों को हिजाब के साथ शामिल होने की अनुमति दी जाए. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि इसके लिए बेंच के गठन पर विचार किया जाएगा. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 10 दिन सुनवाई की थी, लेकिन जजों की राय अलग-अलग होने के चलते फैसला नहीं हो सका था.
23 जनवरी को भी दिया था सुनवाई का आश्वासन
इस मामले का इससे पहले 23 जनवरी को सीनियर वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने जिक्र किया था. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि इस महीने व्यावहारिक परीक्षा निर्धारित थी, जिसके लिए मामले से प्रभावित मुस्लिम छात्रों को उपस्थित होना था. इस मामले में अंतरिम निर्देशों की जरूरत थी, ताकि प्रभावित छात्राएं परीक्षा में शामिल हो सकें. उस समय भी कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आश्वासन दिया था कि जल्द ही मामले की सुनवाई के लिए तीन-न्यायाधीशों की पीठ के लिए एक तारीख तय की जाएगी.
हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला
हिजाब मामले को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने 11 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया था. इस फैसले में साफ किया गया कि इस्लाम में हिजाब जरूरी नहीं है. ये इस्लामिक परंपरा का हिस्सा नहीं है. शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य करना ठीक है. छात्र इससे इनकार नहीं कर सकते हैं, लेकिन हिजाब जरूरी नहीं होना चाहिए.
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