Supreme Court On Hijab Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (13 अक्टूबर 2022) को कर्नाटक के हिजाब विवाद का मामला बड़ी बेंच को भेज दिया. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने 10 दिनों तक हिजाब मामले पर सुनवाई की. गुरुवार को जब फैसले की घड़ी आई तो दोनों जजों की राय अलग-अलग नजर आई. हिजाब मामले (Hijab Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला तो आ गया है, लेकन दोनों जज (हेमंत गुप्ता और सुंधाशु धूलिया) की राय अलग-अलग है. ऐसे में अब इस मामले की सुनवाई एक बड़ी बेंच करेगी. बेंच के अध्यक्ष हेमंत गुप्ता ने यह भी कहा कि वह इस मामले को अब मुख्य न्यायाधीश के पास भेज रहे हैं और वे अब इसमें उचित बेंच का गठन करें.
दोनों जजों ने क्या कहा?
जस्टिस गुप्ता ने कहा, "मेरे विचार से इन सभी सवालों का जवाब याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध जाता है. मैं अपील खारिज कर रहा हूं." उन्होंने सवाल किया कि क्या छात्रों को अनुच्छेद 19, 21, 25 के तहत वस्त्र चुनने का अधिकार मिले? अनुच्छेद 25 की सीमा क्या है? व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के अधिकार की व्याख्या किस तरह से की जाए.
जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा, "लड़कियों की शिक्षा अहम है. वह बहुत दिक्कतों का सामना कर पढ़ने आती हैं और हिजाब पर रोक से स्कूल-कॉलेज में ड्रॉप आउट बढ़ा है." जस्टिस धूलिया ने कहा कि हाई कोर्ट को धार्मिक अनिवार्यता के सवाल पर नहीं जाना चाहिए था. इसे व्यक्तिगत पसंद के तौर पर देखना चाहिए था. मेरी राय अलग है. मैं कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला रद्द करता हूं.
हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
गौरतलब है कि 15 मार्च को दिए फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने ड्रेस कोड के पालन के आदेश को सही ठहराया था. यह भी कहा था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 24 याचिकाएं दाखिल हुई हैं. मामले की 10 दिन चली सुनवाई के दौरान हिजाब समर्थकों की दलील मुख्य रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद पर केंद्रित रही. वहीं राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेज में अनुशासन के बिंदु पर जोर दिया.
हिजाब का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे, सलमान खुर्शीद, हुजैफा अहमदी, देवदत्त कामत और संजय हेगडे ने बहस की. उन्होंने कहा कि अगर हिजाब को एक धार्मिक फर्ज की तरह मानते हुए लड़कियां यूनिफॉर्म के रंग का स्कार्फ अपने सर पर रखती हैं तो इससे किसी भी दूसरे छात्र का कोई अधिकार प्रभावित नहीं होता है. इसलिए, रोक लगाने का आदेश गलत है.
कब और कैसे शुरू हुआ ये पूरा मामला?
ये मामला अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ, जब एक पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग शुरू की. इसके बाद मामला दब गया, लेकिन 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई 6 छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया. जिसके बाद कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया और मामला सुर्खियों में आया. इसी दिन मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था.