Karnataka Hijab Row: कर्नाटक के हिजाब विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. आज एक याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई के अनुरोध किया. लेकिन चीफ जस्टिस एन वी रमना ने उनसे कहा कि मामला कर्नाटक हाई कोर्ट में लंबित है. पहले हाई कोर्ट को फैसला लेने देना चाहिए.


'हिजाब देता है आज़ादी'


मामले की याचिकाकर्ता कर्नाटक के उडुपी के गवर्नमेंट पी.यू. कॉलेज की छात्रा फातिमा बुशरा है.  फातिमा ने हिजाब को अपने धार्मिक अधिकार से जोड़ते हुए कहा है कि मुस्लिम लड़कियों के इसे पहनने से किसी का कोई नुकसान नहीं है. इसके विपरीत हिजाब लड़कियों को घर से निकलने और सामाजिक जीवन में हिस्सा लेने की आज़ादी देता है. अगर कुछ मुस्लिम लड़कियां हिजाब नहीं पहनतीं, तो इसका उदाहरण देकर यह नहीं कहा जा सकता कि यह धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.


'पूरे देश के मुसलमानों का मामला'


याचिकाकर्ता ने कहा है कि यह मामला सिर्फ कर्नाटक के नहीं है. इसका असर पूरे देश के मुसलमानों पर पड़ेगा, जिनकी आबादी 18 प्रतिशत है. इसलिए, सुप्रीम कोर्ट को सीधे इस मामले पर सुनवाई करनी चाहिए.


'मुसलमानों से हो रहा है भेदभाव'


फातिमा बुशरा ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह कर्नाटक के मामले को अलग घटना की तरह न देखें. पिछले कुछ सालों में देश भर में अलग-अलग घटनाएं हुईं हैं, जिनमें मुसलमानों को निशाना बनाया गया है. यह उसी कड़ी का एक हिस्सा है. याचिकाकर्ता ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA), गुरुग्राम में सार्वजनिक ज़मीन पर नमाज़ पर रोक, अलग-अलग राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानून, गौरक्षकों की हिंसा, हरिद्वार धर्म संसद में दिए गए भाषणों का उदाहरण दिया है.


'पढ़ाई का नुकसान'


याचिका में कहा गया है कि पिछले 2 सालों में कोरोना के चलते सबकी पढ़ाई का नुकसान हुआ है. अब जब स्कूल-कॉलेज खुल रहे हैं तो दक्षिणपंथी संगठनों ने हिजाब पर विवाद शुरू कर दिया है. उनके दबाव में आकर शैक्षणिक संस्थानों ने हिजाब के साथ लड़कियों के कॉलेज आने पर रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने मामले में सकारात्मक भूमिका निभाने की बजाय 5 फरवरी को स्कूल-कॉलेजों का समर्थन करते हुए निर्देश जारी कर दिया.


'मौलिक अधिकारों का हनन'


याचिकाकर्ता ने कर्नाटक सरकार की तरफ से कर्नाटक स्कूल एजुकेशन एक्ट की धारा 133(2) के तहत जारी निर्देश को असंवैधानिक बताया है. इसमें सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों को बताया था कि हिजाब संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. लड़कियों को सिर्फ अपने धर्म और संस्कृति का पालन करने के चलते शिक्षा से रोकना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (1)(a) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार), 21 (गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) और 29 (संस्कृति के संरक्षण का अधिकार) के खिलाफ है.


'2 महीने में परीक्षा'


कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने मामला रखते हुए कहा कि 2 महीने में परीक्षा है. लेकिन विवाद के चलते कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज बंद हैं. धर्म के अनिवार्य हिस्सों की व्याख्या को लेकर 'कंतारु राजीवरु बनाम लॉयर्स एसोसिएशन' मामला सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच के सामने लंबित है. इस मामले को भी सुप्रीम कोर्ट देखे. तब तक कर्नाटक सरकार के निर्देश पर रोक लगा दी जाए.


हाई कोर्ट के आदेश का इंतज़ार


चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि मामला कर्नाटक हाई कोर्ट के 3 जजों की बेंच के पास है. अभी इसमें सुप्रीम कोर्ट का दखल देना सही नहीं होगा. याचिकाकर्ता को इंतज़ार करना चाहिए. हो सकता है हाई कोर्ट उसे कोई अंतरिम राहत दे दे. सिब्बल ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी लिस्ट करने का अनुरोध किया. चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस पर विचार करेंगे.


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