Supreme Court Hearing On Karnataka Hijab Row: कर्नाटक हिजाब मामले (Karnataka Hijab Row) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई शुरु हो चुकी है. मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि हर सार्वजनिक जगह में कोई न कोई ड्रेस कोड होता है. यह देखने की ज़रूरत है क्या स्कूल-कॉलेज में तय ड्रेस कोड का पालन न करते हुए वहां हिजाब पहनने को सही कहा जा सकता है. कर्नाटक हिजाब मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है.


15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म के पालन के सरकारी आदेश को सही ठहराया था. हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि लड़कियों का हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. इसके खिलाफ 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं.


सुनवाई टालने की मांग ठुकराई


याचिकाकर्ताओं ने कई बार सुप्रीम कोर्ट से मामला जल्द सुनने की मांग की. लेकिन पिछले हफ्ते जब मामला सुनवाई के लिए लगा तो उन्होंने इसे टालने की मांग कर दी. जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच इसके लिए तैयार नहीं हुई. जजों ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी करते हुए सोमवार, 5 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय कर दी.


आज दोपहर सवा 12 बजे के करीब जब मामला शुरू हुआ, तो फिर से सुनवाई टालने का अनुरोध किया जाने लगा. वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और राजीव धवन ने अजीबोगरीब दलील दी. उन्होंने कहा कि आज कोर्ट में भीड़ बहुत है. इससे सुनवाई में असुविधा होगी. बेंच के अध्यक्ष जस्टिस हेमंत गुप्ता ने मुस्कुराते हुए कहा कि सुनवाई दोपहर 2 बजे की जाएगी. उस समय भीड़ कम होगी.


शुरू हुई जिरह


आखिरकार, दोपहर 2 बजे सुनवाई शुरू हुई. हिजाब का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं की तरफ से सबसे पहले वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने पक्ष रखना शुरू किया. उन्होंने राज्य सरकार की शक्ति पर सवाल उठाया. हेगड़े ने यह भी कहा कि अधिकतर जगहों पर सलवार-कमीज और दुपट्टा यूनिफॉर्म है. अगर कुछ लड़कियां उसी दुपट्टे को सिर पर ओढ़ लें, तो इसमें क्या समस्या है?


जजों की दिलचस्प टिप्पणी


सुनवाई के दौरान जजों ने कुछ दिलचस्प बातें कहीं. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा, "एक बार एक महिला वकील जींस पहन कर कोर्ट में आईं. उनसे कहा गया कि यह ड्रेस यहां नहीं पहनी जा सकती. उन्होंने यह नहीं कहा कि वह इन्हीं कपड़ों में जिरह करेंगी. आप गोल्फ कोर्स में जाते हैं, तो वहां भी ड्रेस कोड होता है. हर सार्वजनिक जगह में ऐसा है. आप कह रहे हैं कि स्कूल छात्र को ड्रेस कोड के लिए बाध्य नहीं कर सकता. लेकिन इस तरह से तो लोग मिनी, मिडी या अपनी मर्ज़ी से कुछ भी पहनेंगे."


'धर्म के नाम पर अनुशासन न तोड़ें'


जजों ने यह भी कहा कि नियम तय करने से राज्य को नहीं रोका जा सकता है. कर्नाटक सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज ने कहा, "धर्म के नाम पर शिक्षा संस्थान का अनुशासन तोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती."


हमने रोक का नियम नहीं बनाया : कर्नाटक सरकार


कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, "राज्य सरकार ने अपनी तरफ से हिजाब पर रोक का आदेश नहीं दिया. कानून में मिले अधिकार के तहत शिक्षण संस्थानों से कहा कि वह अपना यूनिफॉर्म कोड बनाएं. अगर संस्थानों ने हिजाब पर रोक लगाई है, तो उसका पालन होना चाहिए. इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या अल्पसंख्यक संस्थान हिजाब की अनुमति दे सकते हैं? एडवोकेट जनरल ने कहा, "वह बिल्कुल ऐसा कर सकते हैं. शायद कुछ ने यह किया भी है. हालांकि, उसकी पूरी जानकारी अभी मेरे पास नहीं है."


अक्टूबर में आ सकता है आदेश


आज की सुनवाई के अंत में कोर्ट ने बुधवार, 7 सितंबर को दोपहर 2 बजे इसे जारी रखने की बात कही. उस दिन दूसरे वकीलों को सुना जाएगा. मामले को सुन रही बेंच के जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. ऐसे में उम्मीद है कि फैसला उससे पहले आ जाएगा.


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