Karnataka Hijab Row: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच का बंटा हुआ फैसला गुरुवार (13 अक्टूबर) को आया. दरअसल, मामला कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में ड्रेस कोड के पालन से जुड़ा है मामला. 15 मार्च को दिए फैसले में हाई कोर्ट ने ड्रेस कोड के पालन के आदेश को सही ठहराया था. यह भी कहा था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 24 याचिकाएं दाखिल हुई हैं.
मामले की 10 दिन चली सुनवाई के दौरान हिजाब समर्थकों की दलील मुख्य रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद पर केंद्रित रही वहीं राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेज में अनुशासन के बिंदु पर ज़ोर दिया. हिजाब का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे, सलमान खुर्शीद, हुजैफा अहमदी, देवदत्त कामत और संजय हेगडे ने बहस की. उन्होंने कहा कि अगर हिजाब को एक धार्मिक फ़र्ज़ की तरह मानते हुए लड़कियां यूनिफॉर्म के रंग का स्कार्फ अपने सर पर रखती हैं तो इससे किसी भी दूसरे छात्र का कोई अधिकार प्रभावित नहीं होता है. इसलिए, रोक लगाने का आदेश गलत है.
सरकार ने यूनिफॉर्म पालन करने का दिया आदेश
राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभूलिंग के नवाडगी और एडीशनल सॉलीसीटर जनरल के.एम. नटराज ने बहस की थी. उन्होंने कहा था कि 2021 तक सभी छात्र यूनिफार्म का पालन कर रहे थे. लेकिन 2022 में हिजाब को लेकर पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने अभियान चलाया. जब मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर स्कूल आना शुरू किया तो जवाब में हिंदू छात्र भगवा गमछा पहन कर आने लगे. सरकार ने स्कूलों में अनुशासन कायम करने के लिए यूनिफॉर्म के पालन का आदेश दिया.
सरकार ने यह भी कहा कि यूनिफार्म शिक्षण संस्थान तय करते हैं, राज्य सरकार नहीं. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है किसी भी कपड़े को पहनने पर राज्य सरकार ने रोक लगाई. सरकार सिर्फ यही चाहती है कि छात्रों के बीच एकता और सद्भावना का रहे और स्कूलों में अनुशासित माहौल में पढ़ाई हो सके.
कब और कैसे शुरू हुआ ये पूरा मामला?
ये मामला अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ, जब एक पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग शुरू की. इसके बाद मामला दब गया, लेकिन 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई 6 छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया. जिसके बाद कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया और मामला सुर्खियों में आया. इसी दिन मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था.
19 जनवरी 2022: कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं, उनके माता-पिता और अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला.
26 जनवरी 2022: फिर बैठक हुई. उडुपी के विधायक रघुपति भट ने कहा कि जो छात्राएं बिना हिजाब के नहीं आ सकतीं, वो ऑनलाइन पढ़ाई करें.
27 जनवरी 2022: छात्राओं ने ऑनलाइन क्लास अटेंड करने से मना किया. इसके साथ ही प्रदर्शन शुरू हुए. मुस्लिम छात्राओं ने सोशल मीडिया से लेकर कॉलेज के गेट पर भी प्रदर्शन किए.
2 फरवरी 2022: उडुपी के ही कुंडापुर इलाके में स्थित सरकारी कॉलेज में भी हिजाब विवाद गर्माया. हिंदू छात्र और छात्राएं हिजाब के जवाब में भगवा गमछा पहनकर कॉलेज आए.
3 फरवरी 2022: कुंडापुर के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई छात्राओं को रोका गया. ये कर्नाटक का दूसरा सरकारी कॉलेज था, जहां हिजाब पर बैन लगाया गया.
5 फरवरी 2022: हिजाब पहनकर आ रहीं छात्राओं के समर्थन में राहुल गांधी उतरे. उन्होंने ट्वीट किया, हिजाब को शिक्षा के रास्ते में लाकर भारत की बेटियों का भविष्य छीना जा रहा है. इससे मामला और बड़ा हो गया.
8 फरवरी 2022: कर्नाटक में कई जगहों पर झड़पें हुईं. शिमोगा का एक वीडियो आया जिसमें एक कॉलेज के छात्र तिरंगे के पोल पर भगवा झंडा लगाते दिखे. कई जगहों से पथराव की खबरें भी आईं. मांड्या में बुर्का पहनी एक छात्रा से बदसलूकी की गई. उसके सामने भगवा गमछा पहने छात्रों ने 'जय श्री राम' के नारे लगाए.
9 फरवरी 2022: जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. साथ ही तीन जजों की बेंच को मामला सौंपा गया. इसमें चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस दीक्षित और जस्टिस जेएप खाजी शामिल थे.
11 फरवरी 2022: हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी तरह के धार्मिक लिबास नहीं पहने जाएंगे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्दी सुनवाई से साफ इनकार कर दिया. उडुपी में सुरक्षा बढ़ा दी गई.
12 फरवरी 2022: हालात को बिगड़ता देख तमाम पीयू कॉलेजों को तीन दिन के लिए बंद करने का आदेश जारी हुआ. 15 फरवरी तक कॉलेज बंद रहे. 17 फरवरी को सरकार ने कहा कि हिजाब विवाद सिर्फ 8 हाई स्कूलों और कॉलेजों तक ही सीमित है.
18 फरवरी 2022: एक प्राइवेट कॉलेज के करीब 20 छात्रों और प्रिंसिपल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. सरकार ने हिजाब को लेकर तमाम प्रदर्शनों पर रोक लगाई थी, लेकिन कॉलेज ने इसका उल्लंघन किया.
24 फरवरी 2022: कर्नाटक के शिक्षा मंत्री की तरफ से हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए साफ किया गया कि किसी भी संस्थान में सिख धर्म की पगड़ी पर बैन नहीं है.
25 फरवरी 2022: हिजाब मामले पर 11 दिनों तक सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
15 मार्च 2022: हाईकोर्ट ने आखिरकार हिजाब मामले पर अपना फैसला सुनाया और कहा कि हिजाब धार्मिक लिहाज से अनिवार्य नहीं है. इसीलिए शैक्षणिक संस्थानों में इसे नहीं पहना जा सकता. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की उस अपील को खारिज किया, जिसमें हिजाब को महिलाओं का मौलिक अधिकार बताया गया था. सरकार को आदेश पारित करने का अधिकार भी कोर्ट ने दे दिया.
इसके बाद से ही मामला शांत हो गया था और सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई शुरू हुई. सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2022 को हिजाब मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 10 दिन इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चली. जिसके बाद अब फैसले का इंतजार है.
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