Supreme Court on Karnataka Hijab Row: कर्नाटक हिजाब मामले पर आज सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी रहेंगी. दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला सुना सकता है. जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच सुबह 10:30 बजे फैसला सुना सकती है. याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें स्कूल-कॉलेजों में यूनिफॉर्म के पूरी तरह पालन का राज्य सरकार का आदेश सही ठहराया गया था. हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं ने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की दलील दी हैय जवाब में राज्य सरकार ने कहा है कि स्कूल-कॉलेज में अनुशासन बनाए रखना ज़रूरी है.


फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका


कुछ मुस्लिम छात्राओं ने राज्य सरकार के इस फैसले को पांच फरवरी 2022 को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गयी थी. सुप्रीम कोर्ट  में दोनों पक्षो ने अपनी बात रखी हैं. अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तरफ है.


राज्य सरकार ने क्या दी थी दलील?


इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभूलिंग के नवाडगी और एडीशनल सॉलीसीटर जनरल के.एम. नटराज ने बहस की थी. उन्होंने कहा था कि 2021 तक सभी छात्र यूनिफार्म का पालन कर रहे थे. 2022 में हिजाब को लेकर अभियान चलाया गया. जब मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर स्कूल आना शुरू किया तो जवाब में हिंदू छात्र भगवा गमछा पहन कर आने लगे. सरकार ने स्कूलों में अनुशासन कायम करने के लिए यूनिफॉर्म के पालन का आदेश दिया. सरकार ने यह भी कहा कि यूनिफार्म शिक्षण संस्थान तय करते हैं, राज्य सरकार नहीं. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है किसी भी कपड़े को पहनने पर राज्य सरकार ने रोक लगाई. सरकार सिर्फ यही चाहती है कि छात्रों के बीच एकता और सद्भावना का रहे और स्कूलों में अनुशासित माहौल में पढ़ाई हो सके.


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