Karnataka News: कर्नाटक के धारवाड़ जिले में स्थित कलाघाटगी गांव में हर तीन साल में एक बार ग्राम देवी का मेला होता है. ये मेला अन्य मेलों की तरह नहीं है. मेले को लेकर लोगों में उत्साह तो होता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मेले से कुछ दिन पहले गांव वाले अपने घरों व दुकानों में ताले लगा देते हैं और खेतों में चले जाते हैं. इस रीत का यहां दशकों से पालन किया जा रहा है.


दरअसल, कलाघाटगी सहित आसपास के पांच गांवों के लोग मेले के लिए एक अनोखी प्रथा का पालन करते हैं. हजारों लोग अपने घरों में ताला लगाकर अपने परिवारों के साथ गांव से बाहर चले जाते हैं. इन गांवों में शादी, सगाई, नामकरण सहित कोई भी शुभ कार्य आने वाली 'उगादी' तक नहीं किया जाता है.


इस परंपरा का पालन हर जाति, पंथ और धर्म का व्यक्ति करता है. परंपरा के अनुसार, मेला शुरू होने से पहले, मंगलवार से लेकर शुक्रवार तक सब गांव से बाहर चले जाते हैं. इन पांच दिनों तक सबकुछ बंद रहता है. व्यापारिक लेन-देन भी रुक जाता है. बता दें कि इस बारे मेले का आयोजन 1 मार्च से 9 मार्च तक होगा. 


गांव से बाहर क्यों जाते हैं लोग?


अब सुनने में तो ये प्रथा हर किसी को काफी अजीब लगेगी, लेकिन कलाघाटगी के ग्रामीणों में इसको लेकर अटूट विश्वास है. यहां के ग्रामीणों का मानना है कि जिन 5 दिनों में वो गांव से बाहर जाते हैं, उस दौरान ग्राम देवियां (तीन बहनें) पूरे गांव की रक्षा करती हैं. ये देवियां गांव में मौजूद दुष्ट शक्तियों का संहार करती हैं. ग्राम देवियों के काम में बाधा न आए, इसलिए सभी गांव वाले घरों को ताला लगाकर चले जाते हैं.


मेले के बाद क्या होता है?


1 मार्च से 9 मार्च तक चलने वाले मेले में तीन देवियों की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है. 9वें दिन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है. ऐसे माना जाता है कि विसर्जन के बाद तीनों देवियों भूलोक से निकलकर स्वर्ग में पहुंचती हैं, फिर उगादी में नया जन्म भूलोक पर लेती हैं. मेले के बाद आने वाली उगादी तक गांव में कोई शादी, नामकरण व सगाई जैसे शुभ कार्यों को किया नहीं जाता है. यहां तक की होली के अवसर पर रंग भी नहीं खेला जाता है.


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