2011 में बोपैया ने कर दिया था ये 'खेल', जिससे बच गई थी बीजेपी की सरकार
साल 2011 में येदुरप्पा सरकार का विरोध करने के कारण बतौर स्पीकर बोपैया ने एक कमेटी गठित कर कांग्रेस के 11 बागी विधायक और पांच निर्दलीय विधायकों को सस्पेंड कर दिया था.
नई दिल्ली: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और येदुरप्पा के करीबी केजी बोपैया ही प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे. कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केजी बोपैया को ही प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने का फैसला दिया है. कांग्रेस ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. दरअसल कांग्रेस बोपैया के 2011 के फैसले को लेकर चिंता में है जब बतौर स्पीकर उन्होंने कांग्रेस के 11 विधायकों को सस्पेंड कर दिया था और इस वजह से बीजेपी सरकार बची रह गई थी.
कांग्रेस का तर्क था कि सीनीयर व्यक्ति को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने का नियम है. इस पर कोर्ट ने कहा कि सीनियर का मतलब उम्र से नहीं बल्कि कार्यकाल से होता है. इस पहले भी ऐसा हो चुका है कि किसी सीनियर को प्रोटेम स्पीकर न बनाया गया हो. 63 साल के बोपैया साल 2008 में भी प्रोटेम यानी अस्थाई स्पीकर रह चुके हैं.
क्यों बोपैया के खिलाफ SC गई कांग्रेस
साल 2011 में येदुरप्पा सरकार का विरोध करने के कारण बतौर स्पीकर बोपैया ने एक कमेटी गठित कर कांग्रेस के 11 बागी विधायक और पांच निर्दलीय विधायकों को सस्पेंड कर दिया था. उनके इस फैसले के कारण कर्नाटक में बीजेपी अपनी सरकार बनाए रखने में कामयाब हो गई थी. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बोपैया के इस निर्णय को पलट दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर इस आधार पर किसी विधायक को सस्पेंड करने का फैसला नहीं ले सकता है क्योंकि उन्होंने बीजेपी सरकार का विरोध किया. कांग्रेस बोपैया के इसी फैसले को लेकर चिंता में है. इसलिेए कांग्रेस ने बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने का विरोध किया.
बता दें कि बोपैया ने इस बार के चुनाव में कांग्रेस के अरुण मचईया को विराजपेट सीट से 13,353 वोटों से हराया. बोपैया का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बेहद नजदीकी संबंध है. कॉलेज के समय बोपैया एबीवीपी के सदस्य रहे थे. बोपैया 2009 से 2013 तक कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर थे.