Karnataka Lingayat Seer: कर्नाटक में प्रख्यात लिंगायत मठ के एक बड़े संत पर गंभीर आरोप लगे हैं. दो छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी संत शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस पूरे मामले पर पक्ष से लेकर विपक्ष तक ने मौन धारण कर लिया है. वहीं जो कुछ नेता मुंह खोल रहे हैं वो पीड़ितों के समर्थन में नहीं बल्कि आरोपी संत के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं. फिलहाल आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. 


राजनीतिक लिहाज से कितना अहम लिंगायत समुदाय?
दरअसल ये पूरा खेल वोट बैंक और राजनीति का है. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को राजनीतिक लिहाज से काफी ज्यादा अहम माना जाता है. इसीलिए इसके धर्मगुरुओं को खास सम्मान मिलता है. इस समुदाय की कुल 18 फीसदी हिस्सेदारी है. अगर विधानसभा सीटों की बात करें तो ये समुदाय सीधे 118 सीटों पर असर डालता है. राज्य में बने 20 मुख्यमंत्रियों में से 8 मुख्यमंत्री लिंगायत समुदाय से थे. अब ये सब आंकड़े देखकर आप समझ ही गए होंगे कि तमाम नेता लिंगायत संत पर बलात्कार जैसे आरोपों पर भी क्यों चुप्पी साधे हैं. 


गिरफ्तारी के बाद किसने क्या कहा?
आरोपी लिंगायत संत शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की तरफ से बयान सामने आया. जिसमें उन्होंने जांच से पहले ही ये साबित कर दिया कि आरोपी शिवमूर्ति बेकसूर है. येदियुरप्पा ने कहा कि, ये स्वामीजी के खिलाफ साजिश रची जा रही है. उनके खिलाफ आरोप में कोई भी सच्चाई नहीं है. जांच के बाद ये सच सामने आ जाएगा. 


इतना ही नहीं राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के बयान में भी आरोपी संत के लिए समर्थन नजर आया, क्योंकि उन्होंने पीड़ित नाबालिगों को इंसाफ दिलाने की बात तक नहीं कही. बोम्मई ने ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि, जांच के बाद ही सच पता चलेगा. हालांकि सीएम कौन से सच की बात कर रहे थे, ये मैसेज लगभग सभी को साफ था. 


मुरुगा मठ और राजनीति
शिवमूर्ति मुरुगा शरणारु कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में स्थित विख्यात मुरुगा मठ के महंत हैं. ये मठ अपने आप में ही राजनीति के लिए काफी अहम है. कहा जाता है कि इस मठ की तरफ से जिस पार्टी को समर्थन मिलता है, उसका सीधा असर चुनाव में देखने को मिलता है और पार्टी को जमकर फायदा भी होता है. जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी तो लिंगायत धर्म को अलग धर्म घोषित करने का प्रस्ताव लाया गया था. तब इस समुदाय का कांग्रेस को समर्थन मिला था. वहीं पिछले ही महीने शिवमूर्ति मुरुगा शरणारु ने राहुल गांधी को भी दीक्षा दी थी. 


फिलहाल इस पूरे मामले में पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी है और मेडिकल टेस्ट भी कराया गया है. महंत के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ है, क्योंकि दोनों ही लड़कियां नाबालिग हैं. ऐसे में ये देखना होगा कि जब पूरा राजनीतिक तंत्र आरोपी महंत के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है, तब पीड़ित लड़कियों को इंसाफ मिल पाता है या फिर नहीं. 


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