Karnataka-Maharashtra Border Dispute: मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य की सीमा के पास कर्नाटक के गांवों में मेडिकल बीमा योजना लागू करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर ऐतराज जताया है. बोम्मई ने इसे गृह मंत्री के सामने हुए समझौते का उल्लंघन बताया और कहा कि इस मुद्दे को वह गृह मंत्री अमित शाह के सामने उठाएंगे.
16 मार्च को मीडिया से बात करते हुए कर्नाटक सीएम बोम्मई ने कहा, "मैं महाराष्ट्र सरकार की ओर से हमारे गांव में की गईं स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की घोषणाओं की कड़ी निंदा करता हूं. यह उस समझौते का उल्लंघन करता है, जिस पर हम अमित शाह की उपस्थिति में पहुंचे थे."
कांग्रेस की महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त करने की मांग
मामले पर राजनीति शुरू हो गई है. कर्नाटक में विपक्षी कांग्रेस ने केंद्र से महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त करने की मांग की. साथ ही राज्य के हितों की रक्षा करने में असफल रहने का आरोप लगाते हुए बोम्मई सरकार से इस्तीफा देने को कहा.
कर्नाटक में कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने महाराष्ट्र सरकार के कदम की आलोचना करते हुए इसे संघीय ढांचे को बिगाड़ने का प्रयास बताया.
क्या है विवाद?
कर्नाटक और महाराष्ट्र में लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है. तनाव कम करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल दिसम्बर में दोनों राज्यों के गृह मंत्रियों की बैठक बुलाई थी. इस बैठक के बाद दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई दावा या प्रतिवाद नहीं करने पर सहमत हुए थे.
अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि वह महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के लिए अतिरिक्त 54 करोड़ रुपये आवंटित करेगी. इस राशि से योजना को कर्नाटक में स्थित 865 सीमावर्ती गांवों में लागू किया जाएगा. इन गांवों में मराठी बोलने वाली आबादी रहती है और महाराष्ट्र इस पर अपना दावा करता रहा है. महाराष्ट्र सरकार की बीमा योजना के बाद एक बार फिर यह मुद्दा गर्म हो गया है.
बोम्मई ने कहा कि सीमावर्ती जिलों जठ और सोलापुर में कई तालुक और ग्राम पंचायतों ने कर्नाटक में शामिल होने का प्रस्ताव पारित किया था, क्योंकि उन्हें महाराष्ट्र में न्याय नहीं मिल रहा था. ऐसे में मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए.
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