बच्चे के शव को दोपहिया पर ले जाने को मजबूर था शख्स, पुलिस ने पहुंच कर की मदद
नई दिल्ली: एंबुलेस नहीं मिलने पर अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर रख कर घर तक ले जाने वाले दाना मांझी की कहानी ने व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए थे. अब भी आपके जेहनों में ओडिशा के दानी मांझी की वो तस्वीरें याद होंगी जिसमें वो पत्नी की लाश को कंधे पर उठाकर 10 किलोमीटर पैदल चल पड़ा था. दाना मांझी की कहानी की तरह ही एक घटना कर्नाटक में भी देखने को मिली.
दरअसल सफन राय नाम के एक शख्स के बेटे की मौत हो गई. रविवार को एक कार ने सफन राय के तीन साल के बेटे रहीम को टक्कर मार दी, जिसके बाद अस्पताल ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. अपने बेटे की लाश को घर तक ले जाने के लिए अपने एक परिचित को दोपहिया गाड़ी लेकर बुलाया. जब सफन अस्पातल के बाहर इंतजार कर रहे थे किसी ने फोन से उनका वीडियो बना लिया. यह वीडियो कर्नाटक के लोकल चैनल पर दिखाया गया. इस वीडियो के टीवी पर आने के बाद पुलिस आनेकल सरकारी अस्पाल पहुंची.
पता चला कि सफन को यह मालूम ही नहीं था कि शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस दी जाती है और ना ही अस्पताल प्रबंधन ने इसके बारे में बताया. सफन असम के रहने वाले हैं, जो पलायन कर कर्नाटक में मजदूरी करते हैं. इस वजह से वह कर्नाटक की भाषा नहीं जानते हैं.
पुलिस ने अस्पताल पहुंच मामला दर्ज किया और बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्ट के बाद बच्चे के शव को ठीक तरीके से सफेद कपड़े में लपेटा गया और सफन को सौंप दिया गया. इतना ही नहीं शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेस भी मुहैया कराई गई.