कर्नाटक का 'नाटक' पहुंचा SC, इस्तीफा देने वाले विधायकों ने कहा- जुगाड़ से सरकार बचाने की हो रही कोशिश
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों ने आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. शीर्ष अदालत विधायकों की अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई करेगी.
नई दिल्ली: कर्नाटक की सियासी उठापटक सुप्रीम कोर्ट तक आ पहुंची है. विधानसभा की सदस्यता इस्तीफा दे चुके 14 में से 10 विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. विधायकों का कहना है कि विधानसभा स्पीकर अपना संवैधानिक दायित्व नहीं निभा रहे हैं. वो जानबूझकर उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जिससे किसी तरह सरकार को गिरने से बचाया जा सके. सुप्रीम कोर्ट याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है
याचिका दाखिल करने वाले बागी विधायक कांग्रेस और जेडीएस दोनों से हैं. उन्होंने याचिका में कहा है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी. लेकिन कांग्रेस और जेडीएस ने चुनाव के बाद गठजोड़ कर सरकार बना ली. ये सरकार कभी स्थिर नहीं रही. सरकार लोगों की सही तरीके से सेवा नहीं कर पा रही है. उस पर आईएमए पोंजी स्कीम के ज़रिए हज़ारों लोगों के साथ हुई धोखाधड़ी और जेएसडब्ल्यू जमीन घोटाला जैसे दाग भी लग चुके हैं. लोगों में सरकार को लेकर नाराज़गी है. हाल में हुए लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लोगों ने पूरी तरह से नकार दिया है.
बागी विधायकों का कहना है कि सरकार की अलोकप्रियता को देखते हुए उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. लेकिन मुख्यमंत्री कुमारस्वामी किसी भी तरह से सत्ता में चिपके रहना चाहते हैं. कांग्रेस और विधानसभा स्पीकर के आर रमेश कुमार भी उनका साथ दे रहे हैं. उन्होंने संविधान और विधानसभा के नियमों को ताक पर रख दिया है.
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प्रताप गौड़ा पाटिल, रमेश जरखिहोली, एस टी सोमशेखर समेत 10 विधायकों ने याचिका में कहा है कि 6 जुलाई को जब वो इस्तीफा देने पहुंचे तो स्पीकर अपने दफ्तर में मौजूद थे. लेकिन विधायकों से मिले बिना चुपचाप एक निजी कार से चले गए. उन्होंने खुद को विधायकों की पहुंच से दूर कर लिया. मजबूरन विधायकों ने पहले विधानसभा सचिव और बाद में महामहिम राज्यपाल को इस्तीफा दिया. दोनों जगह से इस्तीफे स्पीकर के पास बढ़ाए जा चुके हैं. इस्तीफे विधानसभा नियमों के तहत तय प्रारूप में लिखे गए हैं. लेकिन स्पीकर मीडिया में बयान दे रहे हैं कि विधायकों के इस्तीफे मान्य प्रारूप में नहीं है. उन्होंने, 12 जुलाई को इस्तीफा देने वाले विधायकों को अपने सामने पेश होने के लिए कहा है.
दरअसल, स्पीकर संविधान की धज्जियां उड़ाकर एक अल्पमत की सरकार को किसी तरह से बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं. वो विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने की जगह उन्हें पार्टी के खिलाफ काम करने के लिए सदस्यता के अयोग्य करार देना चाहते हैं. इससे अल्पमत की सरकार जुगाड़ के जरिए चलती रहेगी.
याचिकाकर्ताओं की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट विधानसभा स्पीकर से उनके इस्तीफों को स्वीकार करने का निर्देश दे. साथ ही विधायकों को सदस्यता के अयोग्य करार देने से जुड़ी कोई भी कार्रवाई करने से रोकें.