(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कर्नाटक के सियासी नाटक में हर पल नए मोड़, जानें नंबर किसका दे रहे हैं साथ?
कांग्रेस-जेडीएस के 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब एक निर्दलीय विधायक ने भी गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेकर बीजेपी को समर्थन देने का एलान कर दिया है. इस एलान के बाद अब राज्य में कांग्रेस-जेडीएस सरकार का काउंट डाउन शुरू माना जा रहा है.
नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार खतरे में है क्योंकि दोनों पार्टियों से कुल 13 विधायक इस्तीफा देकर मुंबई में डेरा डाले हुए हैं. एक निर्दलीय विधायक भी आज सरकार से समर्थन वापस लेकर मुंबई के होटल पहुंच गए. कर्नाटक के बड़े कांग्रेसी नेता संकट को सुलझाने में जुटे हैं. कैमरे पर दावा कर रहे हैं कि सरकार पर खतरा नहीं है.
इस सब के बीच रूठे हुए विधायकों को मनाने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं. कांग्रेस-जेडीएस ने नया दांव चलते हुए अपने सभी मौजूदा मंत्रियों का इस्तीफा करवा दिया है. इनकी जगह इस्तीफा देने वाले विधायकों को मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया जाएगा.
इस बीच बीजेपी सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर आई है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी कर्नाटक की स्थिति पर नजर बनाए हुए है. बीजेपी का कहना है कि कर्नाटक की स्थिति के लिए कांग्रेस और जेडीएस ही जिम्मेदार हैं. सिद्दरामैया और कुमारस्वामी में अहम की लड़ाई चल रही है. कर्नाटक में अगर स्वत: सरकार गिरती है तो बीजेपी दावा पेश करेगी. पार्टी सूत्रों की ओर से यह भी साफ किया गया कि बीएस येदुरप्पा ही स्वाभाविक नेता हैं.
बड़ा सवाल- बीजेपी कैसे सरकार बना सकती है? कर्नाटक में विधायकों की कुल संख्या 224 है, बहुमत साबित करने के लिए 113 विधायक चाहिए. लेकिन 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद कुल विधायकों की संख्या 211 ही रह जाती है. ऐसी स्थिति में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा घटकर 106 पर आ जाता है. कर्नाटक में बीजेपी के पास 105 विधायक हैं, एक निर्दलीय को इसमें जोड़ दें बीजेपी आसानी से बहुमत साबित कर सकती है.
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन का गणित क्या कहता है? वहीं अगर गठबंधन की बात करें तो कांग्रेस के पास 79 विधायक थे जिनमें से 10 इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास स्पीकर को मिला कर 69 विधायक बचते हैं. वहीं जेडीएस के पास 37 विधायक थे जिनमें तीन के इस्तीफे के बाद अब संख्या 34 ही बची है.
इन दोनों के विधायक मिलाकर 103 होती है. इसमें एक बीएसपी का विधायक और एक केपीजेपी के विधायक को भी जोड़ दें तो नंबर सिर्फ 105 तक ही पहुंच पा रहा है. यानी लंबे गुणा भाग के बाद भी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन बहुमत तक नहीं पहुंच पा रहा है.