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Karnataka Politics: 10 साल पहले खरगे से हुई थी सिद्धारमैया की तकरार, इस बार शिवकुमार से रार- CM पद के लिए सस्पेंस बरकरार

Karnataka: साल 2013 में भी ऐसी नौबत आ चुकी है, जब सीएम पद को लेकर पार्टी में खींचतान हुई थी. उस समय सिद्धारमैया और खरगे के बीच तकरार देखने को मिली थी.

Karnataka Government Formation: कर्नाटक का किला भले ही कांग्रेस ने फतह कर लिया है लेकिन, राज्य के सीएम को लेकर सस्पेंस बरकरार है. सीएम की रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार प्रमुख दावेदार हैं. वैसे 74 वर्षीय सिद्धारमैया का पलड़ा भारी बताया जा रहा है. लेकिन, कांग्रेस अभी भी मझधार में फंसी हुई है. अब राज्य का सीएम कौन बनेगा, इसका फैसला पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगे. हालांकि, आज से दस साल पहले (2013) भी कांग्रेस में ऐसी नौबत आ चुकी है, जब सीएम पद को लेकर पार्टी में काफी खींचतान हुई थी. उस समय सिद्धारमैया और खरगे के बीच तकरार देखने को मिली थी. वहीं, पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा से भी उनकी कहासुनी हुई थी. आइये जानते हैं कि 2013 में क्या हुआ था?

2013 में खरगे और परमेश्वर के बीच थी रेस
साल 2013 के कर्नाटक चुनाव में 122 सीटें जीतकर बहुमत से कांग्रेस सत्ता में आई थी. उस समय भी सीएम पद को लेकर पार्टी में काफी खींचतान हुई थी. उस वक्त सिद्धारमैया के खिलाफ मल्लिकार्जुन खरगे और जी परमेश्वर मैदान में थे. 2013 में परमेश्वर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. उस समय 30 से ज्यादा विधायकों ने सिद्धारमैया को सीएम बनाने का विरोध भी किया था. इसके बावजूद सीएम पद का ताज उनके सिर पर सजा था. वहीं, अनुसूचित समुदाय से आने वाले जी परमेश्वर को डिप्टी सीएम बनाया गया था.

देवेगौड़ा से सिद्धारमैया की लड़ाई
दो बार मुख्यमंत्री रह चुके सिद्धारमैया ने सीएम पद के लिए साल 2006 में जेडीएस छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. फरवरी, 2006 में कांग्रेस ने धरम सिंह को सीएम बनाया था. जेडीएस ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार गिर गई थी. इसके बाद जेडीएस को बीजेपी ने समर्थन दिया था और एचडी कुमारस्वामी को राज्य का नया सीएम नियुक्त किया गया था. उनकी सीनियरिटी को नजरअंदाज कर अपने बेटे को सीएम बनाए जाने पर सिद्धारमैया और एचडी देवेगौड़ा की लड़ाई हो गई थी.

वकील के रूप में कैरियर की शुरुआत
सिद्धारमैया का जन्म 12 अगस्त, 1948 को मैसूर जिले के सिद्दरामनहुंडी गांव के एक किसान परिवार में हुआ था. सिद्धारमैया ने मैसूर में ही एक वकील के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी. वह कुरबा समुदाय से आते हैं, जिसका कर्नाटक में तीसरा सबसे बड़ा वोट शेयर है. साल 1978 में राजनीति में आने से पहले वे कुछ सालों के लिए कानून के शिक्षक भी थे. साल 2013 में पहली बार सीएम बनने से पहले वह विपक्ष के नेता भी रह चुके थे. उन्होंने पहली बार साल 1983 में कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश किया था, उस वक्त उन्होंने भारतीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

पहली बार बने पशुपालन मंत्री
सिद्धारमैया उस समय कन्नाडिगों के बड़े नेता बनकर उभरे थे, जब उन्होंने कन्नड़ का ब्लू समिति नामक आंदोलन का नेतृत्व किया था. उन्होंने इस संगठन की स्थापना राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में कन्नड़ को लागू करने के लिए किया था. साल 1985 के चुनाव के बाद रामकृष्ण हेगड़े की सरकार में सिद्धारमैया पहली बार पशुपालन मंत्री बनाए गए थे. हालांकि, साल 1989 के बाद चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. साल 1996 में एचडी देवेगौड़ा जब सीएम से पीएम बने थे, तब उन्होंने जेएस पटेल को सीएम और सिद्धारमैया को डिप्टी सीएम बनाया था.

ये भी पढ़ें- Karnataka Government Formation: 'सोनिया गांधी ने मुझसे कहा कि भरोसा है आप कर्नाटक का उद्धार करेंगे', CM पद की खींचतान के बीच डीके शिवकुमार का बयान

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