Karnataka: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के एलान अगले कुछ हफ्तों मे होने हैं. इसको लेकर सूबे में राजनीतिक माहौल गरम दिखाई दे रहा है. इस बीच शनिवार (25 मार्च) को कांग्रेस ने राज्य में अपने उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित कर दी है. इसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक के पार्टी अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि दोनों कथित तौर पर पार्टी के सत्ता में आने पर शीर्ष पद के लिए दावेदार हो सकते हैं. 


पहली सूची में  सिद्धारमैया को एक सीट मिली


सबसे पुरानी पार्टी ने पहली सूची में कुल 224 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 124 नाम जारी किए. सूची के आधार पर डीके शिवकुमार कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ेंगे. तो वहीं सिद्धारमैया को मैसूर में वरुणा सीट मिली है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में उनके बेटे यतींद्र सिद्धारमैया कर रहे हैं. हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री कोलार से भी चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रहे थे. वह आम तौर पर दो सीटों से चुनाव लड़ते हैं. इसके लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने महीनों तक जमीन तैयार की थी.


बता दें कि फरवरी में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) को अपने औपचारिक आवेदन में, सिद्धारमैया ने बादामी, वरुणा और कोलार का उल्लेख तीन निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में किया था, जिसमें से वह अपना विकल्प चुनेंगे. बादामी और कोलार पहली सूची में शामिल नहीं हैं, जिसको लेकर पार्टी के गेम प्लान पर नजरें टिकी हुई थीं. क्योंकि सिद्धारमैया इस बार भी पिछली बार की तरह दो सीटों से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे. सिद्धारमैया ने पिछले राज्य चुनावों में वरुणा और बादामी से चुनाव लड़ा था


 91 वर्षीय शिवशंकरप्पा को दक्षिण से टिकट 


कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में राज्य के कई नामी नेता और मौजूदा विधायक शामिल किए गए हैं. दिलचस्प की बात है कि 91 वर्षीय शमनुरु शिवशंकरप्पा दावणगेरे को दक्षिण से टिकट दिया गया है. साथ ही पार्टी के स्टार नेता और कोलार से सांसद केएच मुनियप्पा को देवनहल्ली विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिला है. पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने अध्यक्ष मल्लिकार्जूण खरगे की अध्यक्षता में उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित की है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस बैठक में थे. हलांकि चुनाव आयोग के तरफ से अभी तक चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा नही की गई है. 


कर्नाटक में राजनीतिक हलचल तेज


कर्नाटक में राजनीतिक हलचल तेज है क्योंकि यहां मई के महीने में विधानसभा का चुनाव होने हैं. इसको लेकर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इसमें मुस्लिमों के लिए ओबीसी कोटा के तहत चार प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर दिया गया. अब इस 4% आरक्षण को राज्य के लिंगायतों और वोक्कालिगाओं को दो-दो प्रतिशत के रूप में दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि यही दो प्रमुख समुदाय हैं जो बीजेपी के लिए चुनावी नतीजे निर्धारित करते हैं. मुसलमानों को अब 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग में शामिल किया जाएगा.


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