बेंगलुरू: कर्नाटक में एक बार फिर से गौ-हत्या निषेध कानून का मुद्दा गरमा गया है. कर्नाटक विधानसभा में आज येदियुरप्पा सरकार ने गौहत्या निरोधी विधेयक पास कर दिया. इस दौरान सदन में भारी हंगामा हुआ. कांग्रेस के विधायक सदन की कार्यवाही छोड़कर चले गए.


वहीं बिल जब सदन में पेश किया गया तो उसके बाद पशुपालन मंत्री प्रभु चव्हाण ने विधानसभा परिसर में गाय की पूजा की. इस दौरान कई अन्य मंत्री भी मौजूद रहे.


कर्नाटक गोहत्या निषेध कानून और मवेशी संरक्षण-विधेयक -2020 के नाम से जाना जाने वाला विधेयक में राज्य में गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और तस्करी, अवैध परिवहन, गायों पर अत्याचार और गौहत्या करने वालों पर कड़ी सजा का प्रस्ताव रखा गया है. भारी हंगामे के बीच बिना चर्चा के इस बिल को पास कर दिया गया. कांग्रेस ने अब इस बिल को कानूनन चुनौती देने की बात कही है.


इस बिल में गौहत्या करने पर एक पशु के लिए 50000 से 10 लाख तक जुर्माना और 3-7 साल की सज़ा का प्रावधान है. दूसरे प्रोविजन के लिए 3-5 साल की सज़ा और 50000 से 5 लाख का जुर्माना होगा.


आज जैसे ही पशुपालन मंत्री प्रभु चव्हाण ने इस विधेयक को पेश किया, विपक्ष के नेता सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक सदन के वेल तक आ पहुंचे. उन्होंने आरोप लगाया कि व्यवसाय सलाहकार समिति की बैठक में बिल पर चर्चा नहीं की गई.


इस बिल में गौहत्या, गाय के बछड़े, बैल या भैंस (13 वर्ष के नीचे) की हत्या पर रोक लगा दी गई है. सिद्धारमैया ने कहा, "हमने कल चर्चा की थी कि नए बिलों को लागू नहीं किया जाएगा. हम सहमत थे कि केवल अध्यादेश पारित किया जाएगा. अब प्रभु चव्हाण ने गौहत्या विरोधी बिल को अचानक पेश किया है.''


हालांकि, स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने कहा कि उन्होंने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा था कि महत्वपूर्ण बिल बुधवार और गुरुवार को पेश किए जाएंगे. जवाब से आश्वस्त न होने पर, कांग्रेस विधायक सदन के वेल तक आ पहुंचे और बीजेपी सरकार के खिलाफ जम कर नारे लगाए.


कांग्रेस का कहना है कि विधेयक पारित होने के साथ ही बीजेपी सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण के लिए इस बिल का इस्तेमाल करेगी और साथ ही अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा सकता है. दूसरी ओर, बीजेपी का कहना है कि विधेयक उन गायों की रक्षा के लिए है जो हिंदुओं के लिए पवित्र हैं.


प्रस्तावित कानून के प्रावधानों को कठोर बनाने के लिए, चव्हाण ने उत्तर प्रदेश और गुजरात में समान कानूनों का उल्लेख किया था. चव्हाण के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम ने हाल ही में उत्तर प्रदेश और गुजरात का दौरा भी किया था, जहां इसके कार्यान्वयन के बारे में अध्ययन करने के लिए कानून बनाया गया है.


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