Karnataka Recycling Scam: कर्नाटक में प्लास्टिक रिसाइकलिंग में घोटाला, केंद्रीय ऑडिट में हुआ खुलासा
Karnataka News: कर्नाटक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक बड़े घोटाले का पता लगाया है. ये घोटाला रिसाइक्लिंग से जुड़ा हुआ है.
Karnataka Recycling Scam: कर्नाटक के प्लास्टिक रिसाइक्लिंग सेक्टर में एक घोटाले का खुलासा हुआ है. हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक ऑडिट किया. इसमें पाया गया है कि एक फैक्ट्री ने 3.48 लाख टन प्लास्टिक रिसाइक्लिंग का फर्जी सर्टिफिकेट जारी किया, जबकि उसकी यूनिट चालू भी नहीं हुई थी. जैसे ही इस मामले की जानकारी सामने आई, वैसे ही अधिकारियों ने कर्नाटक के 89 रिसाइक्लिंग कंपनियों की जांच शुरू कर दी.
दरअसल, कंपनी की तरफ से जिस फर्जी सर्टिफिकेट को जारी किया गया था, उसे 'एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसबिलिटी' (EPR) सर्टिफिकेट कहा जाता है. ईपीआर सर्टिफिकेट प्लास्टिक प्रोड्यूसर्स को नियमों के साथ काम करने की इजाजत देता है. ये उन्हें मैन्यूफेक्चरिंग जारी रखते हुए कानूनी कार्रवाई से बचाता है. इन सर्टिफिकेट्स को प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट्स के जरिए जारी किय जाता है. ये अधिकारियों के जरिए मान्यता प्राप्त और सर्टिफाइड होते हैं.
2022 में लाया गया कंपनियों के लिए रिसाइक्लिंग का नियम
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने 2022 में ईपीआर नियमों को पेश किया. इसके जरिए प्लास्टिक निर्माताओं, आयातकों और ब्रांड मालिकों के लिए प्लास्टिक के फिर से इस्तेमाल और रिसाइक्लिंग को जरूरी बनाया गया. नियमों के तहत कहा गया कि पिछले वित्तीय वर्ष में एक कंपनी जितने प्लास्टिक के सामान को बेचेगी, उसका 30 फीसदी हिस्सा उसे रिसाइकिल करना होगा. इस तरह प्लास्टिक निर्माता कंपनियों के लिए एक टारगेट सेट कर दिया गया.
टीम को जांच में क्या पता चला?
सीपीसीबी के अधिकारियों को एक शिकायत मिली थी, जिसके बाद उन्होंने रामनगर की एक कंपनी एनवायरो रिसाइक्लियन प्राइवेट लिमिटेड की जांच की. इसे कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) से हर साल 3.5 लाख टन प्लास्टिक कचरे को प्रोसेस करने की मंजूरी मिली थी. सीपीसीबी टीम ने पाया कि कंपनी की यूनिट चालू भी नहीं थी, लेकिन उसने निर्माताओं, आयातकों और ब्रांड मालिकों को 3.48 लाख टन के ईपीआर सर्टिफिकेट ट्रांसफर कर दिए थे.
टीम की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया, 'ईपीआर पोर्टल पर अपलोड किए गए इनवॉयस में बताई गई मात्रा में गड़बड़ी है. ये प्रोडक्शन की क्षमता की तुलना में बहुत ज्यादा है, क्योंकि प्लांट का ऑपरेशन अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है.' इसमें कहा गया कि फैक्ट्री ने दावा किया कि इनवॉयस को प्लास्टिक इकट्ठा करने और रिसाइक्लिंग के लिए जारी किया गया था, न कि रिसाइकिल प्लास्टिक की अपेक्षित वास्तविक बिक्री के लिए. ये नियमों का उल्लंघन है.
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