Students Made To Clean Toilets: कर्नाटक के कोलार जिले में एक स्कूल के विद्यार्थियों से हाथ से शौचालय और मलमूत्र के गड्ढे साफ कराए जाने की घटना सामने आई है. घटना कुछ दिन पहले की है लेकिन रविवार (17 दिसंबर) को इसकी तस्वीरें वायरल हो गईं.  


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मोरारजी देसाई रेजिडेंशियल स्कूल में कक्षा सात से नौवीं तक के पांच से छह छात्रों को गड्ढा साफ करने के लिए नीचे उतारा गया.


रिपोर्ट के मुताबिक, इसी स्कूल की एक और घटना में बच्चों को पीठ पर भारी बैग लादकर रातभर घुटनों के बल बैठने की सजा दी गई. सजा के दौरान एक लड़का कथित तौर पर बेहोश भी हो गया. यह घटना भी उस समय सामने आई जब इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.


दर्ज किया जाएगा मामला- पुलिस


मामले को देखते हुए कर्नाटक के समाज कल्याण विभाग की एक कमेटी ने स्कूल का दौरा किया और माना जा रहा है कि कोलार पुलिस इस बारे में शिकायत दर्ज करेगी. कोलार के पुलिस अधीक्षक नारायण एम ने कहा कि स्कूल में कोई स्थायी वार्डन नहीं था. उन्होंने कहा कि प्रभारी वार्डन और मुनियप्पा और दो लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किया जाएगा.


पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पुलिस यह भी जांच करेगी कि क्या स्कूल ने शौचालय की सफाई का काम किसी निजी एजेंसी को सौंपा था और क्या स्कूल की अन्य शाखाओं में भी ऐसा किया गया. मैनुअल स्कैवेंजर्स और रिहैबिलिटेशन एक्ट के अनुसार देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग (हाथ से मैला ढोना) को प्रतिबंधित किया गया है.


यह अमानवीय, घृणित और निंदनीय है- बीजेपी विधायक


तस्वीरें वायरल होने पर बीजेपी विधायक बासनगौड़ा आर पाटिल ने घटना को अमानवीय करार दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ''कोलार की इस घटना ने नागरिक समाज को झकझोर कर रख दिया है. यह अमानवीय, घृणित और निंदनीय है कि गुरुओं ने बच्चों को अच्छा ज्ञान देने के बजाय उन्हें इस तरह का खतरनाक काम सौंपा है और उनकी जान को जोखिम में डाला है.''


उन्होंने लिखा, ''यह मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार पर प्रतिबंध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत एक दंडनीय अपराध है. इसके अलावा नाबालिगों का इस तरह के खतरनाक काम को करना भी कानूनी अपराध है. दोषियों के खिलाफ तुरंत मामला दर्ज हो और सरकार को सख्त कार्रवाई करने दें.''


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