कर्नाटक में हिंदुओं को बांटने की कोशिश कर रही है सिद्धारमैया सरकार: अमित शाह
अमित शाह ने पत्रकारों से कहा, ''कर्नाटक में (विधानसभा) चुनावों से ठीक पहले लिंगायतों और वीरशैवों के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की घोषणा कर उन्होंने लिंगायतों और वीरशैवों, लिंगायतों और अन्य समुदायों को बांटने की कोशिश की है.’’
दावणगेरे: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार पर आरोप लगाया कि वह हिंदुओं को बांटने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि सिद्दारमैया सरकार देश में सबसे भ्रष्ट सरकारों में शामिल है. कर्नाटक की दो दिवसीय यात्रा पर आए शाह ने कहा कि लिंगायतों और वीरशैव लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का राज्य सरकार का कदम हिंदुओं को बांटने की कोशिश है.
अमित शाह ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ कर्नाटक में (विधानसभा) चुनावों से ठीक पहले लिंगायतों और वीरशैवों के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की घोषणा कर उन्होंने लिंगायतों और वीरशैवों, लिंगायतों और अन्य समुदायों को बांटने की कोशिश की है.’’ इस कदम के वक्त पर सवाल उठाते हुए उन्होंने सिद्दारमैया सरकार से पूछा, ‘‘ आप पांच साल से क्या कर रहे थे?’’
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘2013 में जब आपकी अपनी (यूपीए) सरकार केंद्र की सत्ता में थी तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया था. उस वक्त सिद्दारमैया चुप क्यों थे? यह हिंदुओं को बांटने की कोशिश है.’’ शाह ने कहा कि यह वीरशैव और लिंगायत समुदायों की बेहतरी के लिए उठाया गया कदम नहीं है बल्कि बी एस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकने की साजिश है. येदियुरप्पा को लिंगायत समुदाय का कद्दावर नेता माना जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘लिंगायत समुदाय इसे समझता है और मुझे यकीन है कि कर्नाटक के लोग बैलेट के जरिए इसका जवाब देंगे.’’
कर्नाटक कैबिनेट ने हाल में केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि लिंगायतों और वीरशैव लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए. राज्य सरकार के इस कदम को बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. शाह ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने मठों और मंदिरों को भी सरकारी नियंत्रण में लाने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए.
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ मैंने पांच- छह बार कर्नाटक की यात्रा की है और लोगों से मिलने के बाद मैं कर्नाटक की भावनाएं समझ सका.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कर्नाटक के लोगों का मानना है कि वह (सिद्दारमैया) ‘अहिंद’ नेता नहीं बल्कि ‘अहिंदू’ (हिंदू विरोधी) नेता हैं.’’ कन्नड़ भाषा में‘ अहिंद’ शब्द का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए किया जाता है. उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस ने सिद्दारमैया को नहीं रोका तो पार्टी को चुनावों में गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ सकता है.
अमित शाह ने कहा, ‘‘ एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष हिेंदुओं, मुस्लिमों, सिखों और ईसाइयों को एकजुट करने की बातें करते हैं जबकि दूसरी तरफ कर्नाटक में उनके अपने मुख्यमंत्री हिंदुओं को बांटने की बातें कर रहे हैं.’’ बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ मैंने किसी राजनीतिक पार्टी के भीतर इतने बड़े मतभेद नहीं देखे हैं.’’
इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इसकी राजनीतिक शाखा एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) पर हिंदुओं और बीजेपी- आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाते हुए शाह ने कहा कि उनके खिलाफ केस वापस लेकर राज्य सरकार वोट बैंक की घटिया राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ केरल सरकार ने केंद्र सरकार से पीएफआई पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है, लेकिन सिद्दारमैया को पीएफआई में कुछ गलत नहीं दिखता. कर्नाटक और भारत की सुरक्षा के लिए तुष्टिकरण की यह नीति सबसे बड़ा खतरा है.’’
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ कर्नाटक के लोगों को समझ आ चुका है कि यह सबसे भ्रष्ट सरकार है. हाल में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कहा था कि यदि देश में भ्रष्टाचार को लेकर कोई प्रतिस्पर्धा हो तो सिद्दारमैया सरकार को नंबर वन का अवॉर्ड मिलेगा.’’