नई दिल्ली: कर्नाटक में गहराये राजनीतिक संकट का पटाक्षेप जल्द नहीं होने वाला है. कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने साफ साफ कह दिया कि उनके कार्यालय को अब तक मिले 13 विधायकों के इस्तीफे में सिर्फ 5 प्रॉपर फॉर्मेट में हैं. यानि बाकी 8 को दुबारा इस्तीफा देना होगा. स्पीकर ने कहा इस बाबत उन्होंने राज्यपाल को पत्र भी लिख दिया है, जिन 5 विधायकों ने सही फॉर्मेट में इस्तीफा दिया है उनमें से 3 विधायक आनंद सिंह, प्रताप गौड़ा और नारायण गौड़ा को 12 जुलाई को, बाकी दो रामलिंगा रेड्डी और गोपालैया को 15 जुलाई को स्पीकर ने मिलने बुलाया है.
साफ है कि स्पीकर के इस कदम से राज्य की गठबंधन सरकार को काफी वक्त मिल गया है, अब इतने वक्त में नाराज विधायकों को मनाने में कांग्रेस और जेडीएस के नेता कामयाब हो पाते हैं या नहीं यह देखना होगा.
कांग्रेस ने आज विधायक दल की बैठक बुलाई
आज कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाई, इस बैठक में मुंबई में ठहरे विधायकों के अलावा 9 विधायक गैर मौजूद रहे इनमें से सात विधायकों ने पहले से ही नहीं आने का कारण बता दिया था जबकि रामलिंगा रेड्डी अनुपस्थित रहे. खानापुर की विधायक अंजली निंबालकर भी विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुई. इसके बाद उनके इस्तीफे की भी अटकलें जोर पकड़ रही हैं. इस विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस के सभी नेता विधानसभा परिसर में बनी महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने जमा हुए और बीजेपी पर अपने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया.
कर्नाटक की गठबंधन सरकार में मंत्री जमीर अहमद खान ने आरोप लगा दिया कि बीजेपी ने उनके विधायकों को किडनैप करके रखा हुआ है. हर विधायक पर 2 से 3 लोग पहरा दे रहे हैं. इसी वजह से इन विधायकों से कांग्रेस के नेता संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन के बाद कांग्रेस ने स्पीकर से मुलाकात की और उन्हें एक पेटिशन देकर यह अपील की कि रामलिंगा रेड्डी को छोड़कर कांग्रेस के बाकी सभी बागी विधायकों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. संविधान के नियमों के मुताबिक उन्हें 6 साल के लिए राजनीति से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए.
कुमारस्वामी ने अपने पार्टी के विधायकों के साथ बैठक की
ऐसा लगता है कि कुमारस्वामी को पहले से ही इस बात का अनुमान था कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला एक दिन में नहीं होगा इसीलिए जेडीएस ने अपने बाकी विधायकों को बेंगलुरु के पास एक रिसॉर्ट में रखा है. आज सीएम कुमारस्वामी ने अपने पार्टी के विधायकों के साथ बैठक की और इस बात की रणनीति पर चर्चा हुई कि जेडीएस के तीन बागी विधायकों को किस तरह मनाया जाए. साथ ही कांग्रेस के बागी विधायकों को भी किस तरह वापस बुलाया जाए ताकि गठबंधन की सरकार को बचाया जा सके.
पहले उम्मीद की जा रही थी कि 12 जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा के सत्र से पहले कर्नाटक के इस राजनीतिक नाटक का पटाक्षेप हो जाएगा. लेकिन स्पीकर के फैसले के बाद अब ऐसा लगता है कर्नाटक का यह राजनीतिक संकट लंबा चलने वाला है. ऐसे में अब देखना होगा कि सरकार के गिरने के बाद राज्य में सरकार बनाने की संभावनाएं तलाश रही बीजेपी क्या रुख अपनाती है.
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