कर्नाटक में अयोग्य ठहराए गए 17 विधायक उपचुनाव लड़ सकते हैं या नहीं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
तत्कालीन मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने जुलाई में विश्वासमत से आगे कांग्रेस-जेडी(एस) गठबंधन के 17 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. कुमारस्वामी ने विश्वास मत खोने के बाद इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हुआ था.
नई दिल्ली: कर्नाटक में अयोग्य ठहराए गए 17 विधायकों पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा. कोर्ट के फैसले से ये तय होगा कि अयोग्य विधायक उपचुनाव लड़ सकते हैं या नहीं. सुप्रीम कोर्ट आज अयोग्य कांग्रेस-जेडीएस विधायकों की याचिका पर फैसला सुनाएगी. तीन न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एन वी रमना, संजीव खन्ना और कृष्ण मुरारी की पीठ ने 25 अक्तूबर को इन अयोग्य विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
15 सीटों पर 5 दिसंबर को होने हैं उपचुनाव
दरअसल तत्कालीन मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने जुलाई में विश्वासमत से आगे कांग्रेस-जेडी(एस) गठबंधन के इन 17 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. कुमारस्वामी ने विश्वास मत खोने के बाद इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हुआ था. विधायकों की अयोग्यता के बाद खाली 17 विधानसभा सीटों में से 15 सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव होने हैं.
उम्मीदवारों को 11 नवंबर से 18 नवंबर के बीच अपना नामांकन पत्र दाखिल करना है. अयोग्य विधायकों ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से चुनाव आयोग से इन 15 सीटों के लिए विधानसभा उपचुनाव को स्थगित करने का निर्देश देने की मांग की है.
आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों अहम है?
अभी कर्नाटक विधानसभा में 207 सीटें हैं. बहुमत के लिए 104 की जरूरत है. बीजेपी के पास 106 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास 66 और जेडीएस के पास 34 सीटें हैं. 15 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आने के बाद कुल सीटें 222 हो जाएंगी और बीजेपी को बहुमत के लिए 6 सीटों की जरूरत पड़ेगी.
उपचुनाव की अहमियत इसलिए ज्यादा है कि जिन 15 सीटों पर चुनाव होने हैं, उन पर कांग्रेस-जेडीएस के विधायक जीते थे. अगर अयोग्य विधायकों को चुनाव लड़ने का मौका मिल जाता है तब तो उन्हें बीजेपी से टिकट मिल सकता है और पार्टी की राह आसान हो सकती है. अगर ऐसा नहीं होता है तब चुनाव नतीजे आने तक बीजेपी की धड़कनें बढ़ी रहेंगी.