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कर्नाटक पर कोर्टरूम ड्रामा: सुनवाई के दौरान कांग्रेस-बीजेपी ने रखीं ये दलीलें, कल फिर होगी सुनवाई
बीजेपी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 104 सीटें हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. वहीं चुनाव के बाद बने कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन के 116 विधायक हैं.
नई दिल्ली: कर्नाटक में सरकार बनाने को लेकर खींचतान अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को आमंत्रित करने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में बीजेपी के बी एस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने पर रोक लगाने की मांग की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्च ने इसपर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
बीजेपी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 104 सीटें हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. वहीं चुनाव के बाद बने कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन के 116 विधायक हैं. इस गठबंधन ने भी राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश किया था.
कांग्रेस को बड़ा झटका, येदुरप्पा की शपथ को SC की हरी झंडी, 15 दिन में साबित करना होगा बहुमत
सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वकील अभिषेक मनुसिंघवी ने क्या दलील दी?
सिंघवी ने कहा- जब किसी के पास बहुमत ना हो तो राज्यपाल किसे बुलाते हैं ?
जज ने कहा- सबसे बड़े दल को बुलाते हैं
सिंघवी- नहीं जिस गठबंधन के पास बहुमत हो उसे बुलाते हैं
अभिषेक मनु सिंघवी ने गोवा का हवाला दिया लेकिन कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना
सिंघवी- जानकारी है कि येदुरप्पा ने बहुमत साबित करने के लिए सात दिन मांगे थे, लेकिन राज्यपाल ने 15 दिन दे दिए
सिंघवी- झारखंड, गोवा केस में राज्यपाल ने 7 दिन दिए थे जिसे कोर्ट ने 48 घंटे कर दिया था.
जज- सबसे बड़ी पार्टी कह रही है वो बहुमत साबित कर देगी.
सिंघवी- बीजेपी के 104 विधायक हैं, बहुमत कैसे साबित करेंगे? 8 विधायक का समर्थन नहीं होगा तो बहुमत कैसे?
जज- इतने विधायकों का टूटना कानूनी तौर पर मान्य नहीं होगा.
सिंघवी- यही तो हमारा कहना है कि ये गैरकानूनी है.
जज- राज्यपाल के पास विशेषाधिकार हैं. क्या आप चाहते हैं हम उनकी शक्तियों पर बहस करें?
सिंघवी- गोवा, मेघालय, मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, सरकार बनाने का मौका गठबंधन को मिला.
सिंघवी- दिल्ली में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी, मौका आप और कांग्रेस गठबंधन को मिला था.
जज- राज्यपाल ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया हम कैसे दखल दे सकते हैं.ये फैसला सरकार की सलाह पर नहीं है.
सिंघवी- आज ही शपथ ग्रहण का फैसला नुकसानदेह. कोर्ट मूकदर्शक नहीं बन सकता शपथग्रहण पर रोक येदुरप्पा को रोकना है, राज्यपाल को नहीं
बीजेपी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पेश हुए. सुनवाई के दौरान बीजेपी के वकील रोहतगी और अटॉर्नी जनरल ने दलीलें रखीं.
अटॉर्नी जनरल ने कहा- ये कानूनी सवाल नहीं, हमें नहीं पता राज्यपाल ने क्या तथ्य देखे. ये अनुमान पर आधारित याचिका है.
मुकुल रोहतगी- कोर्ट को ये मामला सुनना ही नहीं चाहिए वो भी इस तरह रात में.
जज- बीजेपी बड़ी पार्टी है लेकिन दो पार्टियों के गठबंधन के पास ज्यादा नंबर हैं.
अटॉर्नी जनरल- हमें नहीं पता कि राज्यपाल ने क्या सोचकर फैसला लिया. अगले 10 दिनों में पता लग जाएगा बहुमत किसके पास है.
जज- ये अलग सवाल है. 10 दिन-15 दिन क्यों?
सिंघवी- येदुरप्पा वकील भेज सकते हैं, कागज नहीं? ये बहानेबाजी है.
मुकुल रोहतगी- मैं केस टालने की नहीं खारिज करने की मांग कर रहा हूं.
मुकुल रोहतगी- कोर्ट को अगर बाद में जरूरी लगे तो येदुरप्पा हट सकते हैं. राज्यपाल के आदेश पर रोक नहीं लगाई जा सकती. सवाल ये है कि बहुमत परीक्षण कितने दिन में हो.
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