देश के कई राज्यों में लॉकडाउन लगने की वजह से परिवहन सुविधा न होने के चलते एक पिता ने अपने 10 साल के बेटे की जान बचाने के लिए 300 किमी का सफर साइकिल पर तय किया है. इस 45 वर्षीय दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी आनंद का बेटा न्यूरोलॉजिकल समस्या से पीड़ित है, और ये मैसूर से लगभग 30 किलोमीटर दूर टी नरसीपुरा तालुक के गनिगन कोप्पलु गांव में रहता है.


टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक आनंद को हर दो महीने में अपने बेटे के इलाज के लिए टेबलेट लेने के लिए निम्हांस बेंगलुरू जाना पड़ता है. यहां पर उसे मुफ्त में दवाइयां मिल जाती हैं. वैसे भी डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी है कि वो अपने बेटे के लिए दवा की एक भी खुराक मिस न करें. क्योंकि इससे इलाज सालों तक प्रभावित हो सकता है. इस वजह से आनंद ने लॉकडाउन के चलते कोई साधन न मिलने पर अपनी पुरानी साइकिल से सफर तय किया. हालांकि उन्होंने अपने दोस्तों से मदद मांगी पर किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की.


आनंद ने 4 दिन में तय किया 300 किमी सफर


आनंद ने बताया कि उनकी साइकिल काफी पुरानी है, लेकिन फिर भी बेटे के लिए उन्होंने उसी से यात्रा की.आनंद ने रविवार की रात बेंगलुरु से लगभग 60 किमी दूर कनकपुरा तालुक के एक मंदिर में बिताई. फिर सोमवार की रात बेंगलुरु में एक शख्स ने उन्हें खाना दिया. जिसके बाद मंगलवार सुबह निम्हंस से आनंद ने दवाएं लीं, जहां एक डॉक्टर ने आनंद को 1,000 रुपये मदद के रूप में दिए. मेडिसिन लेकर आनंद बुधवार शाम को घर आ गए. आनंद ने बताया बेटे को टेबलेट मिलने से वो काफी खुश हैं.


पेडलिंग करने की वजह से कमर में हुआ दर्द


जानकारी के मुताबिक दंपति के घर में उनके बेटे के अलावा बेटी भी है. वहीं आनंद ने बताया कि चार दिनों तक लगातार पेडलिंग करने की वजह से कमर में दर्द हो रहा था, इसलिए उन्होंने डॉक्टर से ट्रीटमेंट लिसा और अब वो ठीक हैं.


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