बेंगलुरू: कर्नाटक में करीब तीन सप्ताह से जारी सियासी नाटक का पटाक्षेप होता नहीं दिख रहा है. ताजा विवाद बहुमत परीक्षण को लेकर है. बीजेपी जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है. वहीं कांग्रेस-जेडीएस और अधिक समय चाहती है. आज जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो कई बार सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं ने हंगामा किया. कई बार कार्यवाही रोकनी पड़ी.
विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने सत्ताधारी गठबंधन के सदस्यों को अपना भाषण तुरंत समाप्त करने को कहा ताकि विश्वास मत प्रक्रिया सोमवार को पूरी करवायी जा सके, इस पर सदस्यों ने विरोध जताया. एक घंटे की देरी से सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ सबकी नजर हम पर है. मुझे बलि का बकरा ना बनाएं. अपने लक्ष्य (शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया पूरी करने) तक पहुंचें.’’
सदन में गठबंधन (कांग्रेस-जेडीएस) के सदस्य नारेबाजी करने लगे, ‘‘हमें चाहिए इंसाफ, हम चर्चा चाहते हैं.’’ जेडीएस और कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मुद्दे पर कोई तत्परता नहीं दिखायी क्योंकि उसने दो निर्दलीय विधायकों द्वारा अविलंब शक्ति परीक्षण कराने की त्वरित याचिकाओं को सुनने से इनकार कर दिया.
कुमारस्वामी ने पिछले सप्ताह गुरुवार को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखा था. सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफे और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के कारण सरकार का भविष्य अधर में है. राज्यपाल वजुभाई वाला ने पहले शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे तक और बाद में दिन की समाप्ति तक विश्वास प्रस्ताव पर प्रक्रिया पूरी करने को कहा था.
शुक्रवार को प्रक्रिया पूरी नहीं होने के बाद अध्यक्ष ने सरकार से यह वादा लिया था कि वह इसे सोमवार को अवश्य पूरा करेगी. इसके बाद सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. अध्यक्ष ने विश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया में और देरी नहीं करने पर अपना रुख स्पष्ट किया, ‘‘इससे मेरा या सदन का अपमान होगा.’’
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ऐसी खबरें है कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने मत-विभाजन के लिए और दो दिन का वक्त मांगा है. अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम जीवन सार्वजनिक में हैं. जनता हमें देख रही है. अगर लोगों में यह विचार बन रहा है कि चर्चा के नाम पर हम समय बर्बाद कर रहे हैं तो यह मेरे या किसी के लिए भी सही नहीं होगा.’’
बीजेपी को संदेह है कि कांग्रेस जद(एस) सरकार बागी विधायकों को अपने पाले में करने के लिए विश्वास प्रस्ताव पर मत-विभाजन में देरी कर रही है. इन्हीं विधायकों के इस्तीफे की वजह से सरकार गिरने की कगार पर पहुंच गयी है. वरिष्ठ बीजेपी नेता जगदीश शेट्टार और मधुस्वामी ने अध्यक्ष से कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर प्रक्रिया सोमवार को पूरी कर ली जानी चाहिए और बहस अंतहीन नहीं खींची जानी चाहिए.
विधानसभा अध्यक्ष के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 117 विधायक हैं जिनमें कांग्रेस के 78, जदएस के 37, बीएसपी के एक और एक नामित हैं. दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलने के साथ विपक्षी बीजेपी के पास 225 सदस्यीय विधानसभा में 107 विधायक हैं. यदि 16 विधायकों (कांग्रेस के 12 और जदएस के 3) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है या वे मत-विभाजन से दूर रहते हैं तो सत्तारूढ़ गठबंधन के पास संख्याबल 101 रह जाएगा और सरकार अल्पमत में आ जाएगी.