Hindu-Muslim Unity: कर्नाटक के गडग जिले में एक ऐसा गांव है जहां लोग हिंदू और मुस्लिम एकता की मिशाल पेश कर रहे हैं. लक्ष्मेश्वर के नजदीक एक हनुमान मंदिर की खासियत है कि यहां मुस्लिम लोग पूजा-अर्चना में शामिल रहते हैं. सालों पहले सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए इस मंदिर की स्थापना की गई थी और मुसलमानों को मंदिर में पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान की अनुमति दी गई थी. 


इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक गांव के लोग कोरीकोप्पा में हिंदू और मुस्लिम हमेशा शांतिपूर्वक तरीके से साथ रहते आए हैं, जहां कभी कोई सांप्रदायिक झड़प नहीं हुई है. बता दें सालों पहले कोनेरीकोप्पा, कोंडिकोप्पा और कोरीकोप्पा गांवों के मुहाने पर एक छोटा सा हनुमान मंदिर था. कोनेरिकोप्पा और कोंडिकोप्पा गांव अब अस्तित्व में नहीं है.


हिंदू कर गए पलायन, मुसलमानों ने जारी रखी पूजा


दरअसल अतीत में प्लेग और हैजा फैलने की वजह से लोगों ने इन गांव को छोड़ दिया. जब इन गांवों से लोग पलायन कर गए, तो पास के पुटागांव बदनी गांव के कुछ मुस्लिम परिवारों ने मंदिर में पूजा करना जारी रखा. कुछ समय बाद मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, जिसके बाद कोरीकोप्पा गांव के बुजुर्गों ने मंदिर के पूजा-पाठ की जिम्मेदारी मुसलमानों को सौंप दी. ये जिम्मदारी आज भी मुसलमानों के हाथों है और वे इसका पालन कर रहे हैं.


लक्ष्मेश्वर तालुक के रहने वाले मोहम्मद लक्ष्मेश्वर और जिनेश जैन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि हनुमान मंदिर में पूजा-आरती मुसलमान ही करते हैं. वे कहते हैं, “यह मंदिर अद्वितीय है क्योंकि मुसलमान भगवान हनुमान की पूजा करते हैं. हालांकि हिंदू और जैन... मंदिर में आते हैं लेकिन पूजा और आरती पुटगांव बदनी गांव के मुस्लिम परिवार ही करते हैं.


लक्ष्मेश्वर में रहने वाले पीके बताते हैं कि इस मंदिर में सैकड़ों लोग आते हैं. मंदिर को लेकर वह कहते हैं, “कोरिकोप्पा गांव जो अदारकट्टी-कोंडिकोप्पा रोड पर है, सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जाना जाता है. आसपास के गांवों और अन्य जगहों से सैकड़ों लोग शनिवार और मंगलवार को मंदिर में आते हैं.


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