IAS Vs IPS: कर्नाटक में IAS रोहिणी सिंधुरी और IPS डी. रूपा के बीच विवाद अभी भी बरकरार है. एक तरफ रोहिणी सिंधुरी ने डी. रूपा पर मानहानि का केस ठोक दिया है. वहीं, अब बेंगलुरु की एक सिविल कोर्ट ने डी. रूपा और लगभग 60 मीडिया संस्थानों को रोहिणी सिंधुरी के खिलाफ 'झूठे और मानहानिकारक' बयान प्रकाशित करने से प्रतिबंधित कर दिया है.
बता दें कि दोनों महिला अधिकारियों (रोहिणी सिंधुरी और डी रूपा) के बीच बीते कई दिनों से 'प्राइवेट तस्वीरों' को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. आईपीएस डी रूपा ने रोहिणी सिंधुरी की कुछ 'प्राइवेट तस्वीरों' को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था और आरोप लगाया था कि उन्होंने पुरुष आईएएस अधिकारियों को ये तस्वीरें भेजी हैं.
आरोपों से किया इनकार
डी रूपा के आरोपों को रोहिणी सिंधुरी ने सिरे से खारिज किया और उन्हें बदनाम करने का आरोप भी लगाया. इसके बाद, ये बवाल और बढ़ गया, जिसके मद्देनजर सरकार ने दोनों अधिकारियों को बिना पोस्टिंग के ही ट्रांसफर दे दिया. सिविल कोर्ट ने गुरुवार (23 फरवरी) को करीब 60 मीडिया संस्थानों और डी रूपा को समन और प्रतिबंध का आदेश जारी किया.
मानहानि का केस ठोका
इससे पहले, गुरुवार को ही IAS रोहिणी सिंधुरी ने IPS डी. रूपा को मानहानि का नोटिस थमाया और एक करोड़ रुपये की डिमांड की. मानहानि के नोटिस में कहा गया कि डी. रूपा को बिना शर्त माफी मांगनी होगी और उसे अपने फेसबुक पेज पर अपलोड करना होगा. साथ ही, रोहिणी सिंधुरी के संबंध किए गए पोस्ट को डिलीट भी करना होगा.
यहां से शुरू हुआ बवाल
गौरतलब है कि अपने फेसबुक पेज पर रोहिणी सिंधूरी की तस्वीरें शेयर करते हुए रूपा ने लिखा, "भले ही इस तरह की तस्वीरें सामान्य लगें, लेकिन जब एक महिला आईएएस अधिकारी केवल एक या दो नहीं, बल्कि तीन पुरुष आईएएस अधिकारियों को अकेले-अकेले तस्वीर भेजे तो इसका क्या मतलब है? यह उनका निजी मामला नहीं हो सकता है."
उन्होंने आगे लिखा, "...आईएएस सेवा आचरण नियमावली के अनुसार यह अपराध है. कोई भी जांच एजेंसी इन तस्वीरों की प्रामणिकता की जांच कर सकती है. सैलून हेयरकट तस्वीरें, तकिये पर लेटकर ली गई तस्वीर. यह किसी के लिए सामान्य हो सकता है. ऐसी तस्वीरें भेजने के पीछे का संदर्भ कुछ और लगता है."