Karni Sena प्रमुख ने मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर साधा निशाना, कहा- किसानों का ठेकेदार बनना है तो दें इस्तीफा
Karni Sena: किसान आंदोलन का समर्थन करने पर करणी सेना प्रमुख सूरजपाल अमू ने ट्वीट करके कहा, "सत्यपाल मलिक को राज्यपाल जैसे पवित्र और महत्वपूर्ण पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए."
Karni Sena: किसान आंदोलन को लेकर करणी सेना (Karni Sena) प्रमुख सूरजपाल अम्मू (Suraj Pal Amu) ने मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्यपाल मलिक को राज्यपाल जैसे पवित्र और महत्वपूर्ण पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. दरअसल मलिक ने कल यानी रविवार को जयपुर में हुए एक कार्यक्रम के दौरान किसान आंदोलन पर बात करते हुए कहा था कि देश में इतना बड़ा आंदोलन आज तक नहीं चला जिसमें 600 लोग शहीद हुए. उन्होंने कहा कि अमूमन कोई हादसा होता है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश जाता है. लेकिन किसान आंदोलन के दौरान कई प्रदर्शनकारियों की मौत पर संसद में भी कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया.
वहीं किसान आंदोलन का समर्थन करने पर सूरजपाल अमू ने ट्वीट करके कहा, "सत्यपाल मलिक को राज्यपाल जैसे पवित्र और महत्वपूर्ण पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. अगर उन्हें किसान आंदोलन का समर्थन करना है तो धरने पर बैठें."
मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक के बयानों पर करणी सेना को आपत्ति,जातिवादी राजनीति व किसान आन्दोलन का समर्थन करना है तो धरने पर बैठें।
— Suraj Pal Amu (@amu_pal) November 8, 2021
उन्हें राज्यपाल जैसे पवित्र व महत्वपूर्ण पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।@narendramodi @AmitShah @BJP4India @BJP4Meghalaya pic.twitter.com/CFeiYRG4K3
किसानों का खुलकर करते रहे हैं समर्थन
बता दें कि सत्यपाल मलिक बीजेपी के इकलौते नेता हैं जो किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर बोलते रहे हैं. उनके अनुसार उन्होंने पहले भी किसानों के मुद्दे को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के सामने उठाया है. साथ ही राज्यपाल मलिक ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर कुछ नहीं बोलूंगा क्योंकि मेरे बोलने से यह मुद्दा बन जाएगा. उनके अनुसार राज्यपाल को हटाया नहीं जा सकता है, लेकिन मेरे शुभचिंतक सोचते हैं कि किसानों पर बोलने से इसे हटाया जाएगा. राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कहना है कि उन्हें दिल्ली में दो-तीन लोगों ने राज्यपाल बनाया है और अगर उनके लिखने और किसानों या अन्य मुद्दों पर बोलने पर उन्हें दिक्कत हुई और वो दो-तीन लोग उनसे कह देंगे कि उनसे उन्हें दिक्कत हो रही है तो वह उसी वक्त इस्तीफा दे देंगे.दरअसल नए कृषि कानूनों पर किसान पिछले एक साल से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. यह मामला कोर्ट तक पहुंचा, कमेटी भी बनी लेकिन अबतक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.
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