करतारपुर कॉरिडोर: तकनीकी पहलुओं पर बातचीत के लिए आज मिलेंगे भारत-पाकिस्तान के अधिकारी
पुलवामा आतंकी हमले और उसके बाद बालाकोट में भारत की कार्रवाई के बीच आज भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर बैठक होगी. बैठक के एजेंडा में मुख्यतः करतारपुर गलियारा परियोजना के जलवैज्ञानिक पहलू और निर्माण कार्यों के अन्य तकनीकी पहलू होंगे.
नई दिल्ली: करतारपुर गलियारे को लकेर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही कूटनीतिक रस्साकशी के बीच भारत और पाकिस्तान आज एक बार फिर तकनीकि स्तर वार्ता के लिए मिलेंगे. भारत-पाक सीमा की जीरो लाइन पर होने वाले इस बैठक के दौरान दोनों मुल्क करतारपुर गलियारे के प्रस्तावित निर्माण संबंधी तकनीकी पहलुओं पर बात करेंगे.
सराकारी सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक के एजेंडा में मुख्यतः करतारपुर गलियारा परियोजना के जलवैज्ञानिक पहलू और निर्माण कार्यों के अन्य तकनीकी पहलू होंगे. सूत्र बताते हैं कि करतारपुर गलियारा परियोजना के तहत पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र में रावी नदी पर एक पुल भी बनना है. इस पुल के निर्माण से कहीं भारत में बाढ़ का खतरा बढ़ तो नहीं जाता इसको लेकर चिंताएं हैं.
लिहाजा बैठक में पाकिस्तानी पक्ष से प्रस्तावित पुल के निर्माण के तकनीकी पहलुओं पर स्पष्टीकरण लेने का प्रयास होगा. इसके अलावा बैठक में करतारपुर परियोजना में बनने वाले गेट और इंटीग्रेटेड चैक पोस्ट की तकनीकी पक्षों पर भी चर्चा संभव है.
महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान की ओर से खालिस्तानी और अलगाववादी तत्वों को करतारपुर संबंधी समिति में जगह दिए जाने पर स्पष्टीकरण तलब करते हुए भारत ने 2 अप्रैल को निर्धारित बातचीत को टालने का फैसला लिया था. हालांकि तकनीकी पहलुओं पर चर्चा के लिए नई दिल्ली ने बाद में 16 अप्रैल की तारीख सुझाई थी जिसपर पाकिस्तान ने रजामंदी जता दी थी.
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इस तकनीकि वार्ता के लिए भारत और पाकिस्तान के अनेक विभागों के कई अधिकारी मौजूद होंगे. सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्रालय को अभी तक खालिस्तानी अलगाववादियों को करतापुर परियोजना संबंधी समिति में शामिल किए जाने के सवालों पर पाक का जवाब नहीं मिला है.
गौरतलब है कि भारत ने लश्कर-ए-तोएबा सरगना हाफिज सईद के साथ तस्वीरों में नजर आते रहे खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला समेत ऐसे कई लोगों को स्वागत समिति में रखा है जो भारत विरोधी गतिविधयों में शरीक रहे हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रवीश कुमार ने 4 अप्रैल को दिए बयान में कहा था कि भारत की तरफ से उठाए गए मुद्दों पर पाकिस्तान के जवाब का इंतजार है. हालांकि बीते सप्ताह पाकिस्तान विदेश मंत्रालय प्रवक्ता डॉ मोहम्मद फैजल ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि मैं भारत की ओर से करतारपुर गलियारे को खोलने के मुद्दे पर उठाई गई आपत्तियों के बारे में कुछ भी नहीं कह सकता. जहां तक पाकिस्तान का सवाल है हम 2 अप्रैल को भी वार्ता के लिए तैयार थे और अब भी तैयार हैं. जीरो लाइन पर होने वाली बातचीत में भी हम शरीक होंगे.
सिखों के पवित्र तीर्थ करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के लिए नया गलियारा खोलने की सुगबुगाहट जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ-ग्रहण समारोह से ही शुरु हो गई थी जब भारतीय पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के आगे पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने यह मुद्दा उठाया था.
दिसंबर 2018 में पाकिस्तान के इस परियोजना पर काम शुरु करने से पहले भारत ने इस योजना का शिलान्यास कर दिया था. करतारपुर गलियारा परियोजना पर दोनों मुल्क एक-दूसरे के मुकाबले कूटनीतिक पत्ते चल रहे हैं तो वहीं धार्मिक और सामाजिक मुद्दा होने के कारण इसे आपसी तनाव से बचाते भी नजर आ रहे हैं.