नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर समझौते पर आज आधिकारिक मुहर लगेगी. समझौता भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच दोपहर में वाघा-अटारी चेक पॉइंट पर होगा. यहां तमाम कागजी कार्रवाई पूरी होते ही सिक्खों की ये बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हो जाएगी. गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर शुरू हो रहे इस गलियारे के चालू हो जाने पर सिक्ख श्रद्धालू एक ही दिन में सरहद के दोनों तरफ बने डेरा बाबा नानक और करतारपुर साहिब गुरुद्वारों के दर्शन कर सकेंगे.


भारत ने प्रत्येक तीर्थयात्री से 20 डॉलर की फीस वसूलने को लेकर पाकिस्तानी ज़िद से असहमति के बावजूद सिक्ख धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए करतारपुर समझौते पर अपनी रज़ामंदी दे दी है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के शुभ अवसर पर करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने की पहल की गई है ताकि भारतीय तीर्थयात्री और भारत का OCI कार्ड रखने वाले नागरिक इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बीते सप्ताह जारी बयान में कहा था कि करतारपुर साहिब कॉरिडोर के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने पर सहमती के साथ ही भारत एक बार फिर पाकिस्तान सरकार से 20 डॉलर की सेवा शुल्क वसूली के अपने फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह करता है. भारत किसी भी समय समझौते को संशोधित करने के लिए तैयार होगा.


रिकॉर्ड वक्त में पूरी हुई परियोजना


भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू होने जा रही करतारपुर गलियारा परियोजना अपने आप में साझेदारी का भी एक बड़ा नमूना है जिसे रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया. जुलाई 2017 में इमरान खान सरकार की ताजपोशी के साथ इस परियोजना की सुगबुगाहट शुरू हुई. इमरान खान के शपथ समारोह में शरीक हुए पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पाक यात्रा के दौरान इस मुद्दे को हवा मिली. वहीं, भारत ने 22 नवंबर 2018 को अपनी तरफ से करतारपुर गलियारे पर काम शुरू करने का प्रस्ताव भेजा था जिसे पाक ने भी उसी दिन स्वीकार कर भेज दिया था. भारत में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने 26 नवम्बर 2018 को डेराबाबा नानक में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी.


बाधाओं के बावजूद पूरा हुआ काम 


हालांकि, इसके बाद पुलवामा आतंकी हमले, बालाकोट एयर स्ट्राइक, कुलभूषण जाधव पर आईसीजे के फैसले, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर रिश्तों में छाई कड़वाहट के बावजूद परियोजना का काम पूरा किया गया. महज कुछ महीनों के भीतर भारत और पाकिस्तान ने अपनी अपनी तरफ व्यापक ढंचागत निर्माण को भी पूरा कर लिया. इस कड़ी में सड़क, सेतु और इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) भी बनाई गई हैं.


भारत ने अपनी तरफ विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस यात्री टर्मिनल तैयार किया है ताकि सिक्ख श्रद्धालु पूरी सहूलियत के साथ यात्रा पूरी कर सकें. करीब 50 एकड़ के दायरे में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बनाई गई है जिसके गेट पर 300 फुट का झंडा फहराया जाएगा. आईसीपी में कमल की पत्तियों जैसे तीन ब्लॉक होंगे. यात्री टर्मिनल में 54 इमिग्रेशन कांउटर होंगे. इसके अलावा परिसर में एक टावर रेस्तरां भी बनाया जा रहा है जहां से पूरे क्षेत्र का नजारा देखा जा सकेगा.


पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन 


नवंबर 12 को गुरुनानक जयंती से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 नवम्बर को इस गलियारे का विधिवत उद्घाटन करेंगे. इसके बाद यात्री करतरपुर साहिब जा सकेंगे. करतारपुर गलियारा भारत-पाकिस्तान के बीच वीजा-मुक्त आवाजाही का भी अनूठा उदाहरण होगा. इसके लिए बाकायदा दोनों देशों की सरहद पर एक गलियारा बनाया गया है जिसपर चलकर तीर्थयात्री पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पहुंचेंगे. भारत की मांग को मानते हुए पाकिस्तान ने इस आवाजाही को वीजा मुक्त रखने पर रज़ामंदी जताई है.


यह गलियारा करतारपुर में दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ेगा और यहां से भारतीय तीर्थयात्री बिना वीजा के वहां जा सकेंगे. हालांकि तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब जाने के लिये अनुमति हासिल करनी होगी.


वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा का सपना हुआ पूरा


करीब दो दशक पहले 1999 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर बस लेकर गए थे तो अमन के प्रस्तावों में करतारपुर गलियारा खोलने की अपील भी थी. मगर पाकिस्तान इसे अनसुनी करता रहा. जानकारों की माने तो अल्पसंख्यकों के शोषण पर दुनिया भर में फजीहत झेल रहे पाकिस्तान ने अपने दाग धोने के लिए करतारपुर गलियारे का पैंतरा चला है. साथ ही इसके पीछे खालिस्तानी गुटों को लेकर भारत की चिंताओं के बीच रणनीतिक दांव चलने की भी मंशा थी. हालांकि, भारत ने इस प्रस्ताव पर पहले कदम बढ़ाते हुए पाकिस्तान के दांव की पहले ही हवा कम कर दी थी.


पाक की कमाई का जरिया भी बनेगा करतारपुर साहिब


सिक्खों के लिए पवित्र करतारपुर साहिब गुरुद्वारे तक कॉरिडोर खोलना पाकिस्तान के लिए काफी मुनाफे का भी सौदा है. अनुमान है कि प्रत्येक तीर्थ यात्री से 20 डॉलर यानी करीब 1400 रुपये के वसूली से पाक को लगभग 258 करोड़ भारतीय रूपए यानी (लगभग 571 करोड़ पाकिस्तानी रुपए) की आय होगी. इसका गणित कुछ इस तरह समझा जा सकता है. पाकिस्तान ने करतारपुर गुरुद्वारे के लिए प्रतिदिन 5000 तीर्थयात्रियों के दर्शन की अनुमति दी है. ऐसे में उसे हर दिन तीर्थयात्रियों से एक लाख डॉलर हासिल होंगे. दर्शन चूंकी 365 दिन खुले होंगे लिहजा कमाई का आंकड़ा डॉलर की मौजूदा कीमतों के लिहाज से 250 करोड़ रुपए सालाना से अधिक होगा.


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