करतारपुर कॉरिडोर: पाकिस्तान के साथ 14 जुलाई को होने वाली बैठक में उठेगा खालिस्तानी गोपाल चावला का भी मुद्दा, भारत मांगेगा सफाई
करतारपुर कॉरिडोर से जुड़े मसलों पर चर्चा के लिए 14 जुलाई को बैठक होगी. इस बैठक में भारत खालिस्तानी गोपाल चावला से जुड़ी अपनी चिंताओं से पाकिस्तान को अवगत कराएगा.
नई दिल्ली: करतारपुर गलियारे (कॉरिडोर) के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ 14 जुलाई को होने वाली बातचीत में गोपाल चावला जैसे खालिस्तानी तत्वों की मौजूदगी का मुद्दा भी होगा. भारत की कोशिश 31 अक्टूबर को अपनी तरफ करतापरपुर गलियारे से जुड़ा काम काम पूरा करने से पहले तीर्थयात्रियों की आवाजाही से जुड़े उन सभी मुद्दों को सुलझाने की है जिनपर पाकिस्तान के साथ गतिरोध बरकरार है.
पाकिस्तान के साथ जुलाई 14 को होने वाली अधिकारी स्तर वार्ता से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, भारत सकारात्मक रवैये के साथ बातचीत की मेज पर जाएगा ताकि सभी अनसुलझे मुद्दों का समाधान मिल सके. साथ ही अपनी चिंताओं पर पाकिस्तानी पक्ष से जवाब भी मांगेगा.
दरअसल, करतारपुर गलियारे को लेकर भारत-पाक के बीच बीते करीब 6 महीनों से चल रही बातचीत की कवायद तीन प्रमुख मोर्चों पर उलझी है. इसमें एक अहम मसला पाक में करतापरपुर साहिब आने वाले यात्रियों के स्वागत के लिए बनाई गई स्वागत समिति में खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला की मौजूदगी भी है. भारत ने 2 अप्रैल 2019 को इसी मामले पर शिकायत दर्ज कराते हुए तय बातचीत को रद्द कर दिया था.
हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान लिए फैसले पर रुख बदलते हुए सरकार ने पाकिस्तान के साथ करतारपुर गलियारे पर बातचीत आगे बढ़ाने का फैसला लिया. इस बारे में पूछे जाने पर सूत्रों का कहना था कि भारत गोपाल चावल के मुद्दे पर अपनी शिकायत भी जता चुका है और स्पष्टीकरण भी मांग चुका है. जुलाई 14 को होने वाली बातचीत में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से हम सामने रखेंगे. साथ ही पाक सरकार के नुमाईंदों से पूछेंगे कि उन्होंने भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए क्या किया है?
इसके अलावा करतारपुर परियोजना की राह में एक रोड़ा इस गलियारे के लिए सीमा के दोनों तरफ मार्ग का निर्माण भी है. सूत्रों के अनुसार इस बाढ़ संभावित इलाके में भारत जमीन की सतह से ऊंचा सड़क मार्ग बना रहा है जबकि पाक ने अपनी तरफ ऐसे एलिवेटेड निर्माण से इनकार कर दिया है. हालांकि पाक फिलहाल सतह से कुछ ऊंची पक्की सड़क बनाने पर राजी ज़रूर हुआ है. मगर इससे रावी में पानी बढ़ने पर यात्रा बाधित होने की आशंका पूरी तरह खत्म नहीं होती है.
दरअसल, करतारपुर साहिब के लिए बन रहे रास्ते में पाकिस्तान की तरफ रावी बहती है. वहीं सीमा के दोनों तरफ गलियारे के लिए हो रहा निर्माण नदी की धारा को बीच से काटने वाली है. इलाके में ज़मीन की ढाल भारत की तरह होने के कारण बाढ़ की आशंका बढ़ जाती है. केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़े बताते हैं कि पंजाब के इस इलाके में 2013 में ही बाढ़ आई थी.
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अभी तक यात्रा के तौर-तरीकों पर भी भारत-पाकिस्तान के बीच फैसला मुकम्मल नहीं हुआ है. भारत-पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच 14 जुलाई को होने वाली बैठक में यात्रा प्रक्रिया पर भी चर्चा होगी. इसमें तय होगा कि करतारपुर साहिब जाने वाले यात्री कैसे और कितने समय में अपनी यात्रा पूरी करेंगें.
इस बीच भारत में करतारपुर गलियार परियोजना के लिए राजमार्ग निर्माण का काम 60% पूरा हो गया है. साथ ही भारत ने अपने इलाके का काम 31 अक्टूबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. भारत 550 करोड़ रुपये की लागत से एक सर्व सुविधायुक्त पैसेंजर टर्मिनल और हर मौसम में उपयोग के लिए मुफीद सड़क मार्ग बना रहा है.
भारत के लिए इस पूरे प्रोजेक्ट में सुरक्षा भी एक बड़ा मसला है. लिहाज़ा पूरे कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए हाईटेक सर्विलेंस सिस्टम भी लगाए जाने हैं. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को ही कहा था कि भारत करतारपुर साहिब गलियारा परियोजना के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और तेजी से इसका काम पूरा करना चाहता है. भारत की तरफ से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में दिया गया जब पाक की तरफ से यह दिखाने की कोशिश हो रही थी कि करतारपुर गलियारा निर्माण में भारत पिछड़ रहा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने सप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘हम इस परियोजना को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और इसे जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं.’’ उन्होंने कहा कि सरकार लोगों और करतारपुर साहिब के तीर्थयात्रियों की भावना से परिचित है. कुमार ने कहा कि सर्व सुविधायुक्त पैसेंजर टर्मिनल और करतारपुर गलियारे के जीरो प्वाइंट को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ेने वाला चार लेन वाला राजमार्ग भी पूरा हो जाएगा.