नई दिल्ली: पुलवामा आतंकी हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान रिश्तों में तनाव का पारा भले ऊंचा चल रहा हो लेकिन करतारपुर गलियारे को लेकर दोनों देश 14 मार्च को बातचीत की मेज पर आमने-सामने मिले. यह बैठक पाकिस्तानी आतंकी सरगना जैश-ए-मोहम्मद को यूएन आतंकी बनाने की कोशिशों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के ब्रेक लगाने के महज कुछ घंटे हुई है. सिख धार्मिक आस्थाओं से जुड़े इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए भारत ने न केवल पाकिस्तानी टीम के लिए वाघा सीमा के दरवाजे खोले बल्कि यह भी साफ कर दिया कि इस्लामाबाद राजी हो तो जल्द से जल्द इसका निर्माण पूरा कर लिया जाए.
हालांकि यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि सीमा पर जारी तल्खी और पुलवामा आतंकी हमले के गुनाहगारों को पाक से मिल रही पूरी शह के बावजूद भारत ने बातचीत की मेज पर आना स्वीकार किया? इसका जवाब बीते दिनों विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दिया. उन्होंने कहा कि करतारपुर गलियारे के लिए हो रही बातचीत के उद्देश्य को समझा जाना जरूरी है. यह दोनों मुल्कों के बीच द्विपक्षीय वार्ता प्रक्रिया की शुरुआत नहीं है. यह बैठक भारत में रहने वाली सिख बिरादरी की धार्मिक भावनाओं और उनकी बरसों पुरानी मांग को पूरा करते हुए बनने वाले करतारपुर गलियारे को लेकर है.
जाहिर है रिश्तों की बिसात पर करतारपुर को लेकर बीते कुछ महीनों से जारी कूटनीतिक पैंतरों के बीच भारत किसी भी सूरत में इस मुद्दे पर बातचीत को टालने का संदेश नहीं देना चाहता. पाक ने जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ समारोह में मेहमान को तौर पर पंजाब के नेता नवजोत सिंह सिद्धू को बुलाकार करतारपुर गलियारे को खोलने का शिगुफा छोड़ा था. उस वक्त पाक सेना प्रमुख की तरफ से कहा गया था कि पाकिस्तान करतारपुर गलियारा खोलने पर विचार कर रहा है.
वहीं पाकिस्तान ने एक-तरफा रास्ता बनाने के लिए शिलान्यास की भी तैयारी कर ली थी. हालांकि भारत ने पाकिस्तानी चाल को भांपकर दिसंबर 2018 में करतारपुर गलियारा बनाने का ऐलान कर दिया. इस कवायद के पीछे पाकिस्तान की मंशा सिखों की धार्मिक मांग पूरी करने के साथ ही उन्हें उकसाने की भी है. इसका नजारा पाकिस्तान में मौजूद डेरा बाबा नानक और करतारपुर साहिब और पंजा साहिब जैसे सिख धार्मिक स्थानों पर खालिस्तानी व अलगाववादी प्रचार में नजर आता है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की तरफ से खालिस्तान और कश्मीरी अलगाववाद को जोड़ने और हवा देने की कोशिशों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. ऐसे में गुरुवार को हुई बैठक में भारतीय नुमाइंदों ने इस बारे भी पाकिस्तान से भरोसा देने का आग्रह किया कि वो करतारपुर गलियारे को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. साथ ही भारत ने सभी तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चि करने के लिए भी कहा है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे पर हुई बातचीत काफी सकारात्मक और सार्थक रही. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों में इस बात पर सहमति भी बनी की इस मुद्दे पर अगली बैठक 2 अप्रैल को होगी. वहीं 19 मार्च को करतारपुर गलियारे का अलाइनमेंट तय करने के लिए भारत और पाकिस्तान के तकनीकी विशेषज्ञ बैठक करेंगे. महत्वपूर्ण है कि 14 मार्च की बैठक से पहले भारत और पाकिस्तान की तरफ से हुई नक्शों की अदला-बदली में मार्ग से जुड़े कोऑर्डिनेट में अंतर था. इसे सुलझाए बिना आगे बढ़ना मुमकिन नहीं है. बैठक से पहले भारत ने पाकिस्तान को अपनी ओर से समझौते का एक समौदा भी दे दिया था.
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